Book Title: Jain Granth aur Granthkar Author(s): Fatehchand Belani Publisher: Jain Sanskruti Sanshodhan Mandal BanarasPage 35
________________ SENTEN ANMASHMA 400000 600 000000 'SANMATI PUBLICATIONS M OHEORMER संस्कृति संशोधन मण्डल Gooooo Q0000) 0000 1. World Problems and Jain Ethics by Dr. Beni Prasad 6A 2. Lord Mahavira ____by Dr. Bool Chand, M.A., PhD. Rs. 4/8/ 3. विश्व-समस्या और व्रतविचार डॉ. बेनीप्रसाद चार माने 4. Constitution 4Ans. 5. अहिंसा की साधना -श्री काका कालेलकर चार भाने 6. परिचयपत्र और वार्षिक कार्यविचरण चार आने 7. Jainism in Kalingadesa Dr. Bool Chand 4 Ans. 8. भगवान् महावीर-श्री दलसुखभाई मालवणिया चार आने 9. Mantra Shastra and Jainism-Dr. A. S. Altekar 4 Ans. 10. जैन-संस्कृति का हृदय-पं. श्री सुखलालजी संघवी चार आने 11. भ० महावीरका जीवन-4. श्री सुखलालजी संघवी 12. जैन तत्त्वज्ञान, जैनधर्म और नीतिवाद ले०-पं. श्री सुखलालजी तथा डॉ. राजवलि पाण्डेय 13. आगमयुग का अनेकान्तवाद-श्री दलसुखभाई मालवणिया माठ माने 14-15. निर्ग्रन्थ-सम्प्रदाय-श्री सुखलालजी संघवी एक रूपया 16. पस्तुपाल का विधामण्डल-प्रो. भोगीलाल सांडसरा भाठ माने 17. जैन आगम-श्री दलसुखभाई मालवणिया मूल्य दस भाने 18. कार्यप्रवृति और कार्यदिशा आठ भाने 19. गांधीजी और धर्म . पं. श्री सुखलालजी भोर दलसुख मालवणिया 20. अनेकान्तवाद-पं० श्री सुखलालजी संघवी 21. जैन दार्शनिक साहित्य का सिंहावलोकन पं. दलमुखमाई मालवणिया 22. राजर्षि कुमारपाल-मुनि श्री जिनविजयची 23. जैनधर्म का प्राण- श्री सुखलालजी संघवी जैन संस्कृति संशोधन मंडल बनारस हिन्दू युनिवर्सीटीः बनारस हिचन्द वेद शाधन Jain Educatalotavani M anohashaa. incom.. Res m arak Private &Fers गम्मि PlwMFREEPage Navigation
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