Book Title: Jain Granth aur Granthkar
Author(s): Fatehchand Belani
Publisher: Jain Sanskruti Sanshodhan Mandal Banaras

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Page 26
________________ (४७) नयरंग पद्मराज चारित्र सिंह दयारत्न अजितदेव बन्द्रकीति सत्रहवीं शताब्दी उदयधर्मगणि आगमिक जीवविचार (शान्ति सूरि) वृत्ति १६१० उपदेश उपदेशमालाको ५१वीं गाथा पर शास्त्रार्थ वृत्ति १६०१ जिनचन्द्र सुरि विधि विधान पौषधविधि पर वृत्ति १६१७ साधुकीर्ति संघपट्टक पर अवचूरि १६१९ वानप्रमोद छन्दःशास्त्र वाग्भटालंकार परवृत्ति १६२१ हीरकलश ज्योतिष जोइस हीर प्रा० १६२१ धर्मसागर उपाध्याय आगमिक कल्प किरणावलि १६२८ ।। जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति पर वृत्ति १६२ खंडन मंडन औष्ट्रिकमतोत्सूत्रदीपिका (खर तरगच्छ खंडन) १६१७ प्रवचन परीक्षा (कुक्षकौशिका दित्य सवृत्ति) १६२९ आगमिक तत्वतरंगिणी वृत्ति, गुरुतत्व प्रदीपिका ईर्यापथिका षट्त्रिंशिका, गुर्वावलि सवृत्ति पर्युषणशतक सवृत्ति, सर्वज्ञ शतक सवृत्ति वर्धमान द्वात्रिशिका विजयदेव सूरि (ब्रह्ममुनि) आगमिक दशाश्रुतस्कन्ध पर जनहिता पार्शचंद्रीय टीका नम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति पर वृत्ति बजय विमल (वानर ऋषि) आगमिक गच्छाचारपयन्ना पर लघु(बानंदविमल के शिष्य) बृहत् टीका १६३४ दुलवैयालियपयन्ना पर अवचूरि भाव प्रकरण सटीक स्तात्र साधारण जनस्तर पर अपूर कर्म शास्त्र बन्धोदयसत्ता सटीक सावरि १६२३ बन्धहेदूदय (हर्षकुल)त्रिभंगी पर अवचूरि प्रकीर्णक प्रतिलेखना कुलक व्याकरण जिनेन्द्र अनिट्कारिका पर अवक चरित्र परमहंस संबोध चरित १६२४ अर्जुनमालाकर स्तोत्र रुचितदंडक स्तुति पर व्याख्या व्याकरण कातंत्र्य विभ्रम पर अवचूरि १६२५ दार्शनिक न्यायरत्नावलि १६२६ आगमिक पिंडविशुद्धि पर दीपिका व्याकरण सारस्वत व्याकरण पर सुबो धिका दीपिका छन्द-शास्त्र प्राकृत छन्दकोश (रत्नशेखरकृत) पर संस्कृत टीका १६१३ सिद्धचक (रत्नशेखर) टीका उपदेशा ध्यान दीपिका १६२१ धर्मशिक्षा, श्रुतास्वाद शिक्षाद्वार १६३० कल्प प्रतिष्ठा कम १६३० रित्र कथा पार्श्वनाथ चरित्र, १६३२, कथारस्ताकर १६५७ प्रकीर्णक ऋषभशतक, अन्योक्तिमुक्ता. महोदधि कीर्तिकल्लोलिनी, सूक्तरलावलि सद्भाव शतक, चतुर्विशति स्तुति स्तुति त्रिदशतरंगिणी कस्तुरी प्रकर विजय स्तुति सकलचन्द्र गणि हेम विजय Jain Education International For Private & Personale Only

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