Book Title: Jain Granth aur Granthkar
Author(s): Fatehchand Belani
Publisher: Jain Sanskruti Sanshodhan Mandal Banaras

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Page 16
________________ तिलकाचार्य (स्वर्ग० १३०८) ( २७ ) आगमिक जीतकल्प वृत्ति १२७४ सम्यक्त्व प्रकरण-दर्शनशुद्धि टीका (दादागुरु ने प्रारम्भ की हुई पूरी की) १२७७ आवश्यक नियुक्ति लघुवृत्ति, दशवकालिक टीका श्रावक प्रायश्चित्त समाचारी पोषध प्रायश्चित्त समाचारी वंदनक प्रत्याख्यान लघुवृत्ति, श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र लघवृत्ति पाक्षिकसूत्र-पाक्षिक क्षामणकावचूरि। षट्स्थानक (जिनेश्वर) वृत्ति १२६२ दार्शनिक पंचलिंगीविवरण टिप्पन १२९३ चरित्र सनत्कुमार चरित्र शतपदी प्रश्नोत्तर पद्धति प्रा० १२६३ काव्य नारायणानंद काव्य १२७७-८७ विवेक विलास व्याकरण स्यादिशब्दसमुच्चय ( २६ ) परमाणद सूरि बार्शनिक खंडन मंडन टिप्पन (वादी देव सूरि के प्रशिष्य) देवमन (अभयदेव की परंपरा में) बार्शनिक प्रमाण प्रकाश चरित्र श्रेयांस चरित्र रियन सूरि दिवभद्र के शिष्य) आममिक प्रवचनसारोद्धार (नेमिचंद्र ) पर तत्त्वज्ञान विकाशिनी टीका (१२४८) सामाचारी चरित्र, पद्मप्रभ चरित्र स्तोत्र स्तुतियां आसड काव्य मेघदूत टीका स्तोत्र जिन स्तोत्र स्तुतियाँ औपदेशिक उपदेश कंदली विवेक मंजरी यशोभद्र (धर्मघोष के प्रशिष्य) गद्य गोदावरी नेमिचंद्र . आगमिक प्रवचनसारोद्धार की विषमपदव्यख्याटीका शतककर्म ग्रन्थ पर टिप्पनक कर्मस्तव टिप्पनक पृथ्वीचंद्र कल्प टिप्पनक उदयसिंह (श्रीप्रम के शिष्य) धर्म विधि (श्रीप्रभ) टीका (१२५३) देवसूरि चरित्र पद्मप्रभ चरित्र प्रा० (१२५) नेमिचन्द्र श्रेष्ठी औपदेशिक सट्ठिसय (पष्ठिशतक) उपदेश रसायन (जिनदत्त) का विवरण, द्वादश कुलक (जिन वल्लभ) विवरण (१२९३) चर्चा चर्चरी (जिनदत्त) विवरण मलयप्रभ(मानतुंगसूरि के शिष्य) स्वप्न स्वप्नविचार भाष्य, सिद्ध जयंति (मानतुंग) वृत्ति (१२६०) जिनपाल (जिनपतिसूरि के शिष्य) धर्मघोष (अंचलगच्छीय) वस्तुपाल जिनदत्तसूरि (वायडगच्छीय) अमरचन्द्र रि (जनदत्त के शिष्य) काव्य कविकल्पलता सटीक, कवि शिक्षावलि, काव्यकल्पलता परिमल सटीक,पयानंद काव्य (जिनेन्द्र चरित्र) कलाकलाप बालभारत छंदै छन्दोरत्नावलि अलंकार अलंकार प्रबोध सुभाषित सूक्तावलि Jain Education International For Private & Personale Only

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