________________
आधुनिक चिन्तक और ध्यानसाधना
1 2 3 ÷ in o
2.
3.
4.
5.
6.
7.
8.
9.
10.
11.
12.
13.
नाम
शक्ति केन्द्र
स्वास्थ्य केन्द्र
तैजस केन्द्र
आनन्द केन्द्र विशुद्धि केन्द्र
ब्रह्म केन्द्र
प्राण केन्द्र
अप्रमाद केन्द्र
चाक्षुष केन्द्र
दर्शन केन्द्र
ज्योति केन्द्र
शान्ति केन्द्र
ज्ञान केन्द्र
38. वही, पृ. 104
स्थान
पृष्ठरज्जु
के नीचे के छोर पर
पेडू (नाभि से चार अंगुल नीचे )
नाभि
हृदय के पास जहाँ गड्ढा पड़ता है।
कण्ठ का मध्य भाग
जिह्वाग्र
Jain Education International
नासाग्र
आँखों के भीतर
कानों की लोल
चैतन्यकेन्द्र प्रेक्षा चेतना के जागरण की प्रक्रिया है। चैतन्यकेन्द्रों पर ध्यान करने से सुप्त - चैतन्य केन्द्रों को जागृत किया जाता है। चैतन्यकेन्द्र प्रेक्षा में एक-एक केन्द्र पर चित्त को केन्द्रित कर प्रेक्षा करते हैं और वहाँ होने वाले प्राण के प्रकम्पनों का अनुभव करते हैं, क्योंकि चैतन्यकेन्द्रों को विद्युत् चुम्बकीय क्षेत्र माना गया है। वहाँ ध्यान करने से वे जागृत होते हैं तो अतीन्द्रिय ज्ञान की क्षमता भी उपलब्ध हो जाती है।
भृकुटि का मध्यभाग
ललाट का मध्यभाग
मस्तिष्क का अग्रभाग
चोटी का स्थान ।
शक्तिकेन्द्र से ऊपर के सारे चैतन्यकेन्द्र शुभ हैं। शक्तिकेन्द्र से नीचे एड़ी तक के चैतन्यकेन्द्र अशुभ हैं। उनका सम्बन्ध मूल मनोवृत्तियों से है 1
gs
खण्ड : नवम
शक्ति केन्द्र मध्यवर्ती है । वह मनुष्य के विकास का पहला सोपान है और पशु के विकास का अन्तिम सोपान है।
38
6. लेश्याध्यान : लेश्याध्यान का प्रयोजन लेश्या की शुद्धि और उससे भावों
44
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org