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उपसंहार
प्रस्तुत शोध प्रबन्ध का मुख्य प्रयोजन जैनधर्म में ध्यान साधना के ऐतिहासिक विकास क्रम को स्पष्ट करना है। यद्यपि प्रस्तुत कृति में हमने जैन ध्यान साधना विधि के स्वरूप, भेद, प्रकार आदि का निर्देश यथाप्रसंग किया है फिर भी हमारी दृष्टि ध्यान के स्वरूप एवं प्रकारों की चर्चा तक सीमित न होकर कालक्रम में जैन ध्यान विधि में कैसे-कैसे परिवर्तन आये, इसकी चर्चा करने की ओर रही है। जैन परम्परा में ध्यान साधना की नोआगमिक विधि रही है वह तो अति प्राचीन है। उसका सम्बन्ध तो आदि तीर्थंकर भ. ऋषभदेव के साथ जोड़ा जाता है। भ. ऋषभदेव के काल में ध्यान साधना का क्या स्वरूप रहा होगा यह बता पाना तो आज कठिन है क्योंकि आज हमारे पास जो आगम उपलब्ध हैं वे भ. महावीर की परम्परा के ही हैं। ऋषभदेव की ऐतिहासिकता केवल इसी आधार पर सिद्ध होती है कि उनके उल्लेख जैन और जैनेतर ग्रन्थों में मिलते हैं। उनसे हमें यह तो ज्ञात हो जाता है कि ऋषभदेव ने ध्यान साधना की थी
और उसी के माध्यम से केवलज्ञान का प्रकटन किया था, किन्तु ऐतिहासिक प्रामाणिक साक्ष्यों के अभाव में हम इस सम्बन्ध में अधिक कुछ बता पाने में समर्थ नहीं हैं। ऋषभदेव की वास्तविक ध्यान विधि का परिचय देना तो सम्भव नहीं है, किन्तु कुछ विद्वानों ने मोहनजोदड़ो एवं हड़प्पा की सीलों के आधार पर यह स्पष्ट करने का प्रयत्न किया है कि वे पद्मासन, अर्द्धपद्मासन या खड्गासन में ध्यान करते थे लेकिन वे किसका और किस विधि से ध्यान करते थे इस सम्बन्ध में हमें कोई उल्लेख प्राप्त नहीं होता है। फिर भी उन्हें भारतीय ध्यान साधना विधि के आद्य पुरुष के रूप में स्वीकार किया जा सकता है। वेदों में ऋषभ या वृषभ शब्द का उल्लेख तो अनेक बार हुआ है किन्तु वहाँ उनकी ध्यान साधना विधि का कोई निर्देश नहीं है।
प्रस्तुत शोध प्रबन्ध के प्रथम अध्याय में यह बताया गया है कि भगवान ऋषभदेव के श्रमण संघ से विकसित हुई विभिन्न श्रमण धाराओं में हमें ध्यानसाधना के निर्देश मिलते हैं। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा से मिली ध्यानस्थ योगियों की सीलें तथा ध्यानमुद्रा का एक कबन्ध इसका प्रमाण है। जैन परम्परा में 'ऋषिभाषित' में और बौद्ध परम्परा में 'थेर गाथा' में श्रमण परम्परा के जिन ऋषियों का उल्लेख है वे तप
और ध्यान से युक्त होते थे, ऐसे साक्ष्य उत्तराध्ययन सत्र में और स्वयं 'ऋषिभाषित' में मिलते हैं। ऋषि-में भाषित' में गईभाल ऋषि के द्वारा ध्यान का सभी साधना विधियों
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