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* मंदिरमार्गी परंपरा के अनुसार
इच्छाकारेण संदिसह भगवन् देवसिअ पडिक्कमणे ठाउं
* सव्वस्सवि सूत्र *
इच्छं सव्वस्स वि देवसिअ दुच्चितिअ दुब्भासिअ दुच्चिट्ठिअ तस्स मिच्छामी दुक्कडं ।
शब्दार्थ
इच्छाकारेण - अपनी इच्छा से
विभी ।
संदिसह आज्ञा प्रदान करो।
देवसिअ - दिवस संबंधी, दिन में।
दुच्चितिअ - दुष्ट चिंतन किया हो।
भगवन् - हे भगवान । देवसिअ पडिक्कमणे - दैवसिक प्रतिक्रमण में। दुब्भासिअ - दुष्ट भाषण किया है। ठाउं - स्थिर होने की। दुच्चिति दुष्ट चिंतन किया हो।
इच्छं- मैं भगवंत केइस वचन कोस्वीकार करता हूं तस्स
उनका । मिच्छा मिथ्या हो ।
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सव्वस्स - सबका ।
मि दुक्कडं - मेरा दुष्कृत।
भावार्थ : हे भगवान! स्वेच्छा से मुझे दैवसिक प्रतिक्रमण में स्थिर होने की आज्ञा प्रदान करो। मैं भगवन्त के इस वचनं को स्वीकार करता हूं। सारे दिन में यदि मैंने कोई भी दुष्ट चिंतन किया हो, दुष्ट वचन कहा हो तथा शरीर द्वारा दुष्ट चेष्टा की हो उन सब पापों का मिथ्या दुष्कृत्य द्वारा मैं प्रतिक्रमण करता हू।
* इच्छामि ठामि सूत्र
इच्छामि - मैं चाहता हूं।
ठामि करना
काउस्सग्गं - कायोत्सर्ग ।
जो-जो ।
मे - मेरे द्वारा ।
देवसिओ - दिवस संबंधी ।
अइयारो - अतिचार ।
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इच्छामि ठामि काउस्सग्गं । जो मे देवसिओ अइयारो कओ, काइओ वाइओ माणसिओ, उस्सुत्तो उम्मग्गो अकप्पो अकरणिज्जो, दुज्झाओ दुव्विचिंतिओ, अणायारो अणिच्छिअव्वो असावगपाउग्गो, नाणे दंसणे चरित्ताचरिते, सुए सामाइए। तिण्हं गुत्तीणं, चउण्हं कसायाणं, पंचण्हमणुव्वयाणं, तिण्हं गुणव्वयाणं, चउन्हं सिख्खावयाणं बारस-विहस्स सावग-धम्मस्स जं खंडिअं, जं विराहिअं, तस्स मिच्छामि दुक्कडं। शब्दार्थ
कओ - किया हो, हुआ हो ।
काइओ - काया द्वारा ।
वाइओ - वाणी द्वारा ।
माणसिओमन द्वारा ।
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उस्तो सूत्र के विरुद्ध भाषाण करने में। उम्मग्गो - उन्मार्ग मार्ग के विरुद्ध आचरण । अकप्पो - कल्प के विरुद्ध बर्ताव ।
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