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मा णं सीयं मा णं उण्हं मा णं खुहा मा णं पिवासा मा णं वाला मा णं चोरा मा णंदंसमसगा वाइयं पित्तियं कप्फियं संभीम सण्णिवाइयं विविहा रोगायंका परीसहा उवसग्गा फासा फुसंतु एवं पिय णं चरमेहिं उस्सास-णिस्सासेहिं वोसिरामि त्ति कटु कालं अणवकंखमाणे विहरामि इहलोगासंसप्पओगे परलोगासंसप्पओगे जीवियासंसप्पओगे
शीत (सर्दी) न लगे। उष्णता (गर्मी) न लगे। भूख न लगे। प्यास न लगे। सर्प न काटे। चोरों का भय न हो। डांस व मच्छर न सतावें। वात। पित्त। कफरूप त्रिदोष। भयंकर। सन्निपात रोग न हो। अनेक प्रकार के। रोग (संबंधी पीड़ाएं) और आतंक न आवे। क्षुधा आदि परीषह। उपसर्ग। देव, तिर्यंच आदि द्वारा दिये गये कष्ट। स्पर्श न करें ऐसा माना किन्तु अब। इस प्रकार के प्यारे देह को। अन्तिम। उच्छवास, निःश्वास तक। त्याग करता हूं। ऐसा करके। काल की आकांक्षा (इच्छा) नहीं करता हुआ। विहार करता हूं, विचरता हूं। इस लोक में राजा चक्रवर्ती आदि के सुख की कामना करना। परलोक में देवता इन्द्र आदि के सुख की कामना करना। महिमा प्रशंसा फैलने पर बहुत काल तक जीवित रहने की आकांक्षा करना।
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