Book Title: Jain Dharm Darshan Part 04
Author(s): Nirmala Jain
Publisher: Adinath Jain Trust

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Page 133
________________ प्रस्तुत पुस्तक तैयार करने में निम्नलिखित ग्रंथों का एवं पुस्तकों का आधार लिया है। अतः उन उन पुस्तकों के लेखक, संपादक एवं प्रकाशकों के हम सदा ऋणी रहेंगे 1. स्थानांग सूत्र 2. उत्तराध्ययन सूत्र आवश्यक सूत्र तत्वार्थ सूत्र नवतत्व प्रकरण पच्चक्खाण भाष्य योगशास्त्र - पंन्यास श्री पद्मविजयजी म.सा. जैन धर्म के नवतत्व - साध्वी डॉ. श्री धर्मशीलाश्रीजी म.सा. जैन विद्या के विविध आयाम - डॉ. सागरमलजी, अभिनंदन ग्रंथ प्रवचन सरोद्वार - साध्वी श्री हेमप्रभाश्रीजी म.सा. 11. प्रथम कर्मग्रंथ - मुनि श्री मनीतप्रभसागरजी म.सा. कर्म सहिता - साध्वीजी श्री युगलनिधि म.सा. प्रतिक्रमण सूत्र (सूत्र - चित्र - आलंबन) - आ. श्री भुवनभानुसूरीश्वरजी म.सा. जैन कथा कोष - मुनि छन्नमल चलो जिनालय चलें - श्री हेमरत्नविजयजी कही मुरझा न जाएँ - आचार्य श्री गुणरत्नसूरीश्वरजी म.सा. जैन रत्नसार - प.पू. यति श्री सूर्यमल्लजी जैन विद्या - बी.ए. पाठ्यक्रम जैन विश्व भारती 19. ग्लोरी ऑफ जैनिसम् - कुमारपाल देसाई 18. 1285 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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