Book Title: Jain Dharm Darshan Part 04
Author(s): Nirmala Jain
Publisher: Adinath Jain Trust

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Page 110
________________ 'इच्छामि खमासमणो' बोलते-सुनते समय की मुद्रा। 'वंदिउँ' बोलते-सुनते समय थोड़ा सा नीचे झुकें। 'निसीहि' बोलते समय गुरु के अवग्रह में प्रवेश करने के लिए जमीन/कटासणा पर बाएं से दाहिने तीन बार क्रमशः प्रमार्जना करनी चाहिए। गुरु के अवग्रह में. प्रवेश करते समय की मुद्रा। प्रवेश कर नीचे बैठने से पहले खमासमण के समान पैर के आगे-पीछे तीन-तीन बार प्रमार्जना करनी चाहिए। प्रमार्जना करके बैठते समय किसी का भी सहारा लिए बिना बैठना चाहिए। यथाजात मुद्रा में बैठने के बाद खमासमण की भांति मुख तथा दोनों हाथों की प्रमार्जना (मुहपत्ति से ) कर मुहपत्ति को चरवले पर स्थापन करने से पहले क्रमशः तीन बार प्रमार्जना करनी चाहिए । गुरूचरण पादुका की संकल्पना पूर्वक महपत्ति की चरवला पर स्थापना करनी । awar.M.LINK-105..... www.jainelibrary.org.

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