Book Title: Jain Bal Shiksha Part 1 Author(s): Amarmuni Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra View full book textPage 7
________________ धन्दना हे प्रभु वीर ! दया के सागर ! सब गुण-आगर, ज्ञान-उजागर ! जब तक जीऊँ, हँस-हँस जीऊँ ! सत्य - अहिंसा का रस पीऊँ !! छोडूं लोभ, घमंड, बुराई ! चाहूँ सबकी नित्य भलाई !! जो करना, सो अच्छा करना ! फिर दुनिया में किससे डरना !! हे प्रभु ! मेरा मन हो सुन्दर ! वाणी सुन्दर, जीवन सुन्दर !! - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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