Book Title: Jain Bal Shiksha Part 1
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

View full book text
Previous | Next

Page 33
________________ बैठ खूब एकान्त जगह में, सदा पाठ निज पढ़ा करे । नहीं किसी की पुस्तक छीने, नहीं किसी से लड़ा करे ॥ डरे कभी ना किसी तरह भी, सबसे मन में प्रेम करे । थोड़ा बोले, मीठा बोले, धर्म-कर्म नित-नेम करे ॥ - - ( ३२ ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 31 32 33 34