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बैठ खूब एकान्त जगह में, सदा पाठ निज पढ़ा करे । नहीं किसी की पुस्तक छीने,
नहीं किसी से लड़ा करे ॥ डरे कभी ना किसी तरह भी, सबसे मन में प्रेम करे । थोड़ा बोले, मीठा बोले, धर्म-कर्म नित-नेम करे ॥
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