Book Title: Jain Bal Shiksha Part 1
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 27
________________ दिया ! सब लडके महावीर जी के साहस की तारीफ करने लगे ।। तुम भी भगवान् महावीर की सन्तान हो । देखना, भूलकर भी कभी डरना नहीं । जैन-धर्म में तो बस बुराई और पाप से ही डरना बताया है, और किसी से नहीं । ___ इस कहानी का यह मतलब नहीं, कि तुम भी साँप पकड़ने की कोशिश करो । इसका मतलब सिर्फ इतना ही है, कि तुम्हें निडर रहना चाहिए। बहुत से लड़के बड़े डरपोक होते हैं, जरा-जरा सी बात से डर कर रोने लगते हैं । अंधेरे में उनको हर जगह भूत और चुडैल का डर रहता है । इस तरह डरना, एक तरह का पाप है ! वीर की सन्तान हो तुम, वीर ही बनकर रहो ! शेर ही की भाँति हरदम, तुम निडर बनकर रहो !! - - ( २६ ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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