Book Title: Jain Bal Shiksha Part 1
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 20
________________ देव ने देखा—सचमुच ही श्रीकृष्ण जैसा दयालु दूसरा कोई नहीं है ! वह प्रकट होकर बोला - महाराज ! धन्य हैं आप और धन्य है आपकी दयालुता ! आप जैसा कौन दयालु होगा, जो कुत्ते जैसे जानवर की इस तरह सेवा करेगा ? इस प्रकार प्रशंसा करता हुआ वह देव श्रीकृष्ण को नमस्कार करके अपने स्थान को चला गया ! बच्चो ! तुमको भी इसी प्रकार दयालु बनना चाहिए ! किसी भी दुःखी प्राणी को पीड़ा से, दर्द से कहराते देखो, तो तुरन्त उसके पास जाओ और अपनी शक्ति के अनुसार उसकी सेवा करो ! तुमको श्रीकृष्ण की तरह दुःखी व्यक्ति के दुःख को दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए ! Jain Education International ( १६ ) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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