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ग्राचार्य चरितावली
प्रायश्चित्त-निर्णय नोखा मे कोना, जोधाणे चोमास का परिचय दोना । मुनिमण्डल ने अपनी मुद्रा मारी ॥ १८४॥
अर्थः- जोधपुर संयुक्त चातुर्मास के कार्य को मूर्त रूप देने के लिये स० २०१२ – १३ मे फिर भीनासर मे सम्मेलन करना निश्चित हुप्रा । नोखा मण्डी से ही कार्य चालू कर दिया गया । देशनोक और भीनासर तक परिपद् चलती रही । नोखामडी मे प्रायश्चित्त के विषय मे विचार विनिमय कर एक सर्वमान्य तालिका तैयार की गई । जोधपुर चातुर्मास की कार्यवाही के लिये कई मुनियो की राय रही कि अनुपस्थित प्रतिनिधि मडल को सुनाकर इसे पास किया जाय, जव तक मुनिमंडल की स्वीकृति नही हो जाती तब तक तालिका मान्य नही हो सकती ।
॥ लावणी ॥
प्रतिक्रमण, श्रुतपाठ और समाचारी, संयोजन प्रार्थना किया हितकारी । पर मण्डल की छाप हेतु दुहराना, लोकतन्त्र की महिमा रूप पिछाना ।
प्रम ुख प्रश्न से उलझी बुद्धि हमारी || लेकर०॥१८५॥
अर्थ :- जोधपुर के सयुक्त चातुर्मास मे साधु प्रतिक्रमण के पाठ, शास्त्र के विवादास्पद सूत्रपाठ, समाचारी और सर्वमान्य प्रार्थना का परिश्रमपूर्वक मयोजन किया गया, किन्तु कुछ प्रमुख मुनि वहा नही थे त उनको मान्य कराने हेतु पुन. दुहराना आवश्यक समझा गया । उपाचार्य श्री, प्रधानमंत्री, सहमत्री प० समर्थमलजी, कविजी ग्रमरचन्दजी महाराज और वाचस्पतिजी श्री मदनलालजी महाराज इन सत्र प्रमुख मुनियो ने विचारपूर्वक जो निर्णय किया उसको सर्वमान्य करने मे कोई बाधा नही होनी चाहिये थी क्योकि मत्री मुनियों ने ही निर्णय किया था कि पाच, छ प्रमुख मुनि चार मास रहकर शास्त्रीय विचार - चर्चा एव निर्णय करें । फिर भी प्रतिनिधिमंडल की छाप के लिये जब सारी कार्यवाही उनके