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प्राचार्य चरितावली (३) पूज्य श्री अमरसिह जी म. (जिनके नाम से सम्प्रदाय चलती है)
, तुलसीदासजी म० (५) , सुजानमल जी म० (६) ,, जीतमल जी म०
, ज्ञानमलजी म० , पूनमचन्दजी म०
,, ज्येष्ठमल जी म० (१०) श्री नैनमलजी म. (११) प्रर्वत्तक श्री दयालचन्द जी म० (१२) श्री नारायणदासजी म० (१३) स्थविर मुनि श्री ताराचद जी म० ।
वर्तमान मे प० पुष्करमुनिजी अपने शिष्य मडल सहित
विद्यमान है। पू० श्री जीवनरामजी पू० श्री लालचन्दजी म. के शिष्य पू० श्री गगारामजी के पश्चात्
पू० श्री जीवनराम जी हए । आप बड प्रभावशाली संत थे। आत्माराम जी म. जो पीछे से मूतिपूजक समाज मे मिल गये, आप ही के शिप्य थे।
(१) पूज्य श्री जीवनराम जी (२) श्री श्रीचन्दजी (३) श्री जवाहर लाल जी, माणक चन्द जी एव उनके पन्ना
लाल जी (४) पन्नालाल जी के (५) श्री चन्दन मल जी महाराज, जो विद्यमान है।
(अ) शाखा २ और उसकी प्राचार्य परम्परा (१) पूज्य श्री जीवराजजी म० स्वर्ण जयति ग्रन्थ