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आचार्य चरितावलो
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(८) पूज्य श्री मोरारजी (६) , नाथाजी (१०) , प्रागजी (११) , शंकर जी , (१२) खुशालजी महाराज (१३) , हरखचन्दजी महाराज (१८) , मोरारजी , (१५) , भवेरचन्दजी , (आप स० १९२३ मे वीरम
गाव मे स्वर्गवासी हुर) (१६) पूज्य श्री पूजा जी ऋषि महाराज (स० १९१५ मे स्वर्गवास
(१८)
(१९) (२०) (२१)
, नाना भगवान जी ,
मलूकचन्दजी
हीराचन्दजी , रघुनाथ जी
हाथो जी उत्तम चन्द जी ,
ईश्वरलालजी महाराज , चुन्नीलाल जी ,
(२२)
(२४)
।
पूज्य लवजी ऋषि महाराज
सत्रहवी शताब्दी मे सूरत के दशा श्रीमाल सेठ वीरजी एक बड़े प्रातष्ठित व्यवसायी और ख्यातनामा सेठ थे। उनकी फूला वाई नामकी एक पुत्री थी। फूला वाई वालविधवा होने से पिता के घर पर ही रहती थी, इसलिये लवजी का पालन-पोषण भी वही हुआ
लवजी वर्चपन मे लोका के उपाश्रय मे पढने को जाते थे। जिससे एक दिन इंनको विरक्ति हो गई। लेकिन सेठ वीरजी की पाना लोंकागच्छ मे ही दीक्षा लेने की थी, इसलिये उन्होने तत्काल वज्रांग जी के पास ही