Book Title: Jain Acharya Charitavali
Author(s): Hastimal Maharaj, Gajsingh Rathod
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur

View full book text
Previous | Next

Page 146
________________ आचार्य चरितावलो १३६ (८) पूज्य श्री मोरारजी (६) , नाथाजी (१०) , प्रागजी (११) , शंकर जी , (१२) खुशालजी महाराज (१३) , हरखचन्दजी महाराज (१८) , मोरारजी , (१५) , भवेरचन्दजी , (आप स० १९२३ मे वीरम गाव मे स्वर्गवासी हुर) (१६) पूज्य श्री पूजा जी ऋषि महाराज (स० १९१५ मे स्वर्गवास (१८) (१९) (२०) (२१) , नाना भगवान जी , मलूकचन्दजी हीराचन्दजी , रघुनाथ जी हाथो जी उत्तम चन्द जी , ईश्वरलालजी महाराज , चुन्नीलाल जी , (२२) (२४) । पूज्य लवजी ऋषि महाराज सत्रहवी शताब्दी मे सूरत के दशा श्रीमाल सेठ वीरजी एक बड़े प्रातष्ठित व्यवसायी और ख्यातनामा सेठ थे। उनकी फूला वाई नामकी एक पुत्री थी। फूला वाई वालविधवा होने से पिता के घर पर ही रहती थी, इसलिये लवजी का पालन-पोषण भी वही हुआ लवजी वर्चपन मे लोका के उपाश्रय मे पढने को जाते थे। जिससे एक दिन इंनको विरक्ति हो गई। लेकिन सेठ वीरजी की पाना लोंकागच्छ मे ही दीक्षा लेने की थी, इसलिये उन्होने तत्काल वज्रांग जी के पास ही

Loading...

Page Navigation
1 ... 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193