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प्राचार्य चरितावली
६. मुनि श्री दौलत , श्री अमी ऋपि जी आदि कई
विद्वान् सत हुए। पूज्य श्री अमोलख -, महाराज (पाप ३२ शास्त्रो के पहले अर्थकार है), , देवजी ऋपि महाराज
आनन्द ऋपि जी महाराज जो वर्तमान मे प्रवरसंघ के प्राचार्य है।
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तासरे समुदाय की प्राचार्य परम्परा १. पूज्य श्री लवजी ऋपि महाराज
, सोमजी , कानजी , , तारा ऋपिजी महाराज
मगल , ,
रणछोड जी , ,, नाथाजी ,
वेचरदास जी ,
वडे माणक चंदजा महाराज १०. , हरखचन्दजी ,
, भारणजी , गिरधरजी
, छगनलालजी महाराज । श्री कान्ति ऋषि जी आदि विद्यमान है । यह खभात समुदाय के नाम से गुजरात मे प्रसिद्ध है ।
चौथे समुदाय की आचार्य परम्परा (१) पूज्य रामरतनजी महाराज की सप्रदाय मालवा में है। इसकी यह परम्परा प्राप्त न होने के कारण यहा उल्लेख नही किया गया है। हमारे खयाल से मालवा का यह समुदाय पूज्य श्री धर्मदास जी महाराज की शाखा मे होना चाहिये, जिसमे कि मुनि श्री मोतीलालजी और युवक
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