Book Title: Hindi Sahitya Abhidhan 1st Avayav Bruhat Jain Shabdarnav Part 01 Author(s): B L Jain Publisher: B L Jain View full book textPage 5
________________ कोष लेखक का संक्षिप्त परिचय। (१) जन्म-श्रीमान का जन्म संयुक्त प्रान्त आगरा व आम की मेरठ कनिहतरी के । बुलन्दशहर स्थान में जो कालो नदी के काएँ तर पर एक सुप्रसिद्ध नगर है शुभ मिती श्रावण शुक्ला १४ वि० सं० १९२४, बोर निर्वाण सं० २३९.३ (शुद्ध चीर नि० सं० २४१२ ), ता. १५ अगस्त सर १८ ६७ ई०, क १४. रवी उस्त नो सन् १२८३: हिजरी, दिन बुधवार की रात्रि को, श्रवण नक्षत्रोपरान्त धनिष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण के प्रारंभ में, कर्काकै मतांश २९ पर कर्क लम्न में इष्टकाल घड़ी ५८ ॥ २५ ॥ १५ फर शुभ मुहूर्त में हुआ। कोषकार की जन्म कुंडली। aankowaiswMRATAKHAawraकायरान 895 mona (२) कुल-आपका जन्म सूर्यवंशान्तर्गत अग्रवालवंश के मित्तल गोत्र में श्रीयुत ला० हज़ारीमल के पौत्र और लाला मंगतराय के सुपुत्र श्रीयुत लाला देवीदास जी की धर्मपत्नी श्रीमती रामदेवी जी के गर्भ से हुआ। नोट-आप अपने पिता के इकलौते पुत्र थे। आपकी एक बड़ी बहन श्रीमती भगवती देवी' नामक अपने प्रिय पुत्र लाला पूर्णचन्द्र सहित भारतवर्ष की. राजधानी देहली में निवास करती हैं। आपकी एक पुत्रो श्रीमती कपूरी देवी हैं जो दिहली निवासी श्रीयुत ला सनेही लाल जी के लघु पुत्र श्रीयुत लाला बाछ राम जी क्लर्क म्यूनिसिपल बोर्ड, म्यूनिसिपल ऑफ़िस देहली के साथ विवाही गई हैं और दिहली ही में निवास करती हैं । आपको एक बड़ी पुत्री स्वर्गीय श्रीमती बसन्ती देवी की एक पुत्री ज्ञानवती और दौहित्री मीनावती अर्थात् आपकी दौहित्री और दौहित्री की पुत्री भी आजकल दिहली ही में निवास करती हैं। आपके एक फुफेरे भाई श्रीयुत लाला ज्ञान चंद्र जी जो दिहली निवासी स्वर्गीय लto 1 जुगल किशोर जी के प्रिय पुत्र हैं अपने पुत्र पौत्रो ला0 अंमल सेना आदि सहित आजकल. पहाड़ी धीरज, दिहली ही में बजाज़े का व्यापार करते हैं । आपके प्रियपुत्र मुझ शान्तीशचन्द्र का विवाह संस्कार बिजनौर निवासी श्रीयुत लाला बद्रीदास जी जैन (भूतपूर्व पील। अदालत ) की पितृष्य सुता ( चचेरी बहिन ) के साथ हुआ है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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