Book Title: He Navkar Mahan
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Padmasagarsuriji

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Page 4
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir PRIOR PER @ @@@@good Babacchamamaeese लेखकीय निवेदन श्री नवकार महामंत्र का जप-जाप और ध्यान-धारणा करते हुए सहज में ही मुझे स्फुरणा हुई...अनुभूति हुई, मैं उसे शब्ददेह का आकार देता गया और उस समय तक देता रहा; जब तक चेतन-सृष्टि का कण-कण सतेज न हो जाए ! श्री महामंत्र के स्मरण से...अनुभव से ऐसा अनुभव प्राप्त हुआ जैसे जीवन का समस्त संगीत, रस और तन्मयता इसी में छिपी हुई हो...कूटकूट कर भरी पडी हो। और उक्त संगीत, रस एवं तन्मयता सहज साध्य हो। इसके स्मरण मात्र से जीवन का सर्वांग पूलकित हो उठते हैं। साथ ही होता है रूपांतरण इसके पूण्य-स्मरण से ! जीवन की ज्योति इसके चिंतन-मनन से प्रगट हो, मानवजीवन तो क्या समस्त भूमंडल को भी सदैव ज्योतिर्मय करती रहती है। इसके भाव-पूर्ण स्मरण से जो असीम शांति...एकाग्रता और लीनता प्राप्त हुई है, उसे मैं शब्दों में अभिव्यक्त करने में सर्वथा असमर्थ हूँ। ठीक त्योंही निःशब्द की भूमिका पर...साधना की अनुभूति का परिचय शब्दों के माध्यम से भी नहीं दे सकता। तीन For Private And Personal Use Only

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