Book Title: Haim Sanskrit Dhatu Rupavali Part 03
Author(s): Dineshchandra Kantilal Mehta
Publisher: Ramsurishwarji Jain Sanskrit Pathshala

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Page 330
________________ ૨૯૮ હૈમ સંસ્કૃત ધાતુ રૂપાવલી if * 5 બીજા ગણના ધાતુસાધિત શબ્દ धातु ४ अक अ ति अन अ उ (तृच्) (णक) (क्ति) (अनट्) (घ) (65) अन् अनितृ आनक अन अनिति अनन आन अनिनिषु चकास् चकासित चकासक चकास चकासिति चकासन चकास चिचकासिषु जक्ष् . जक्षित जक्षक जक्ष · जक्षिति जक्षण जक्ष जिजक्षिषु जाग जागरित जागरक जागर जागरिति जागरण जागर जिजागरिषु दरिद्रा दरिद्रित दरिद्रायक दरिद्र दरिद्रा दरिद्राण दद्धि दिदरिद्रासु, दिदरिद्रिषु रोदित रोदक रोद रुदिति रोदन रोद । रुरुदिषु शास् शासितृ शासक शास शिष्टि शासन शास शिशासिषु श्वस् श्वसित श्वासक श्वस श्वसिति श्वसन श्वास शिश्वसिषु स्वप् स्वप्त स्वापक स्वप सुप्ति स्वपन स्वाप सुषुप्सु अस् भवित भावक भव भूति भवन भाव बुभूषु आ+शास् आशासितृ आशासक आशास आशासिति आशासन आशास आशिशासिषु आस . आसित आसक आस आसिति आसन आस आसिसिषु ईड् ईडित ईडक ईड ईडिति ईडन ईड ईडिडिषु ईशित ईशक ईश ईशिति ईशन ईश ईशिशिषु ख्यातृ ख्यापक - ख्या ख्याति ख्यान ख्याप चिख्यासु देग्धृ देहक देह दिग्धि देहन देह दिधिक्षु दोग्धृ दोहक दोह दुग्धि दोहन दोह दुधुक्षु द्वेष्ट्र द्वेषक द्वेष द्विष्टि द्वेषण द्वेष दिद्विक्ष मार्जित मार्जक मार्ज __ मृष्टि मार्जन मार्ज मिमार्जिषु, मिमृक्षु लेढ लेहक लेह लीढि लेहन लेह लिलिक्षु वक्तृ वाचक वच ___ • उक्ति वचन वाच विवक्षु वशित वाशक ' वश उशिति । वशन ___x विवशिषु वस् वसितृ वासक वस वसिति वसन वास विवसिषु विद् वेदित वेदक वेद विदिति वेदन वेद विविदिषु हन् हन्तु घातक' हन हति हनन घात जिघांसु REEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE 初调侃强钢阿丽网 1 * * * * * * * * of a to

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