Book Title: Haim Sanskrit Dhatu Rupavali Part 03
Author(s): Dineshchandra Kantilal Mehta
Publisher: Ramsurishwarji Jain Sanskrit Pathshala
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धातु धातुम મૂળ ધાતુ
१०६३ | वाक् गति-गन्धनयोः ला ५. १०६८ | लांक् आदाने
| ११०५ | शीफू स्वप्ने १०६५ | श्रांक पाके . ૧૦૭૮ पुंक् प्रसवैश्वर्ययोः । ११०७ | षूङौक् प्राणिगर्भविमोचने
११२४ | ष्टुंग्क् स्तुतौ स्ना ५. १०६४ | ष्णांक शौचे स्नु प. ૧૦૮૩ स्नुक् प्रस्नवने हनु मा.
११०६ | हनुंङ्क्. अपनयने अद् ५. १०५८ | अदं भक्षणे अन् ५.
१०८८ अनक् प्राणने चकास् ५. १०८४ | चकासृक् दीप्तौ जक्ष् ५.. | १०८१ | जक्षक् भक्ष-हसनयोः जागृ ५. . १०८3 | जागृक् निद्राक्षये दरिद्रा ५. १०८२ | दरिद्राक् दुर्गतौ रुद् ५. | १०८७ | रुदृक् अश्रुविमोचने शास् ५. । १०८५ | शासूक् अनुशिष्टौ
अनुबंध
અનુબંધ ફળ •-मनिट, क्-श्री .
•-शनिद, क्-श्री . क ङ्-मा.पही क्-
बीए. •-मनि, क्-श्री .
•-मनि, क्-बी . औ, क् |ङ्-.पही, औ-वेट, क्-01 . क् •-मनिट, ग्-6.५४ी, क्-
बीए. •-अनिद, क्-बीए. क्-ची . . •मनिट, ङ्-.पही, क्-6l91191.. •-मनिट. क्- .. ऋ-मद्यतनीमा प्रत्यय ५२ ७ri Gपान्त्यस्य निषेध, क्-alnuu. क्-श्री ए. क्-बी. ए. . क्-बी . ऋ-मध. अप्रत्यय विल्पे, क्-श्री . ऊ-क्त्वा नी मामा इट् निषेध, क्-पी .
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