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हाँ ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है।
प्रकाशकीय पूज्यपाद प्रातः स्मरणीय साहित्य प्रचारक इतिहास प्रेमी मुनि श्री श्री १००८ श्री श्री ज्ञानसुन्दरजी महाराज साहेब हमारे मारवाड़ के एक चमकते सितारे हैं । आपश्रीने मारवाड़ की वीरभूमि पर अवतार लेकर जननी जन्मभूमि की सेवा करने में अथाग परिश्रम किया है । कितनेक लोग आपत समय यह कह उठते हैं कि हम अकेले क्या करें ? पर हमारे मरुधर केशरी मुनि श्री अकेले होते हुए और अनेक विपक्षियों के बीच में निडरतापूर्वक क्या क्या काम कर बतलाये उनको सुनते ही मनुष्य चकित हो जाते हैं । यह तो आप जानते ही है कि जैन मुनियों को पैदल भ्रमण करना और क्रिया कल्प से समय बहुत कम मिलता है । इस बचित समय में छोटे बडे १६२ ग्रंथ हाथों से लिखना, प्रूफ संशोधन करनार, आये ये प्रश्नों का उत्तर