Book Title: Guru Vani Part 03
Author(s): Jambuvijay, Jinendraprabashreeji, Vinaysagar
Publisher: Siddhi Bhuvan Manohar Jain Trust

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Page 236
________________ २१४ कृतज्ञता गुरुवाणी-३ कि किसी के उपकार को याद नहीं रख सकता। अरे, स्मरण न रखें तो न रखें किन्तु उसी का अपकार करता है। और उसका बुरा करने के लिए तैयार रहता है। भगवान हमारे जैसे ही प्राणी थे किन्तु वे उत्तम किसलिए कहलाते हैं? क्योंकि भगवान कृतज्ञता गुण के स्वामी हैं। हम तो उपकारी मनुष्य के उपकारों को घड़ी के छठे भाग में भूल जाते हैं इसीलिए तो हम आगे नहीं बढ़ पाते हैं और संसार में भ्रमण कर रहे हैं। भगवान तो गुणों के स्वामी हैं। जबकि हम अवगुणों के स्वामी हैं। ___ यह एक सामान्य सा गुण भी मनुष्य को कहाँ से कहाँ ले जाता है। निम्नांकित सत्य घटना से ध्यान आएगा। शेयर बाजार का राजा एक गरीब मारवाड़ी लड़का था। उसका नाम गोविन्द था। धन कैसे कमाया जाए यह उसके लिए सबसे बड़ा प्रश्न था। पढ़ा-लिखा बिल्कुल नहीं था। बम्बई की जाहो-जलाली देखकर उसने सोचा कि बम्बई में कुछ कमाई पर सकूँगा। यह सोच कर वह बम्बई आया। ऐसे बड़े बम्बई शहर में कहाँ रहना? बिल्कुल अनजान था। रोटी तो कमाई से प्राप्त हो जाती है परन्तु रहने का स्थान कहाँ से प्राप्त किया जाए? दिनभर इधर-उधर घूमकर मेहनत-मजदूरी की.... किसी ने कहा - भाई! अमुक धर्मशाला में चले जाना वहाँ तुमको रोटी और रहने का स्थान दोनों ही मिल जाएंगे। नाम और ठिकाना लेकर वह पूछता-पूछता वहाँ पहुँचा। मुनीमजी के पास गया, मुनीमजी से बात की और कहा - मैं इस शहर से बिल्कुल अनजान हूँ। मेरा यहाँ कोई परिचित नहीं है। नौकरी धन्धे के लिए आया हूँ, आपके यहाँ कोई काम हो तो मुझे रख लें। मुनीम को उसके हावभाव और मुखड़ा देखकर दया आ गई। उसने कहा - अच्छा, तुम ऐसा करना कि प्रतिदिन कितने यात्री आते हैं उसको लिख लेना। सुबह से काम पर लग जाना। सुबह हुई.... किन्तु इस भाई को न तो

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