Book Title: Guru Vani Part 03
Author(s): Jambuvijay, Jinendraprabashreeji, Vinaysagar
Publisher: Siddhi Bhuvan Manohar Jain Trust

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Page 269
________________ २४७ गुरुवाणी-३ दीपावली पर्व होते हैं उसको लोग देश के शत्रु के समान समझते हैं। एक ने कहा इसलिए सब उसी के अनुसार बोलने लगते हैं। पुण्यपाल राजा को उनके आठ स्वप्नों का फल भगवान् ने बतलाया। स्वप्नों का फल सुनते ही पुण्यपाल राजा ने दीक्षा ग्रहण की और मोक्ष के अधिकारी बन गए इतना जानने पर तुम्हें तनिक भी वैराग्य आता है क्या? पाँचवें आरे का स्वरूप भगवान् की देशना सुनकर गौतमस्वामी को आश्चर्य होता है। गौतमस्वामी पूछते हैं - भगवन्! पाँचवाँ आरा कैसा होगा? भगवान कहते हैं - हे गौतम! पाँचवें आरे के लोग निर्दयी होंगे। छोटी-छोटी सी बातों में खून करने लगेंगे। भद्रीक लोगों को ठगने वाले होंगे। पाप जन्य स्थानों पर खड़े रहेंगे, कत्लखाने होंगे, दारु की दुकानें होंगी, लोग अनाचारी और अन्यायी बनेंगे, रिश्वत और भ्रष्टाचार खूब बढ़ेगा, कुलीन स्त्रियाँ लज्जाहीन होंगी, वेश्याओं की तरह भटकती रहेंगी। लक्ष्मी भोगियों और कृपणों के पास रहेगी-दान दाताओं के पास नहीं। उत्तम और कुलीन मनुष्यों को नीच कोटि के आदमियों की सेवा करनी पड़ेगी। ऐसा पाँचवें आरे का अन्तिम स्वरूप है। पाँचवाँ आरा २१,००० वर्ष तक रहेगा। छठे आरे का स्वरूप छट्ठा आरा तो पाँचवें आरे से भी भयंकर आएगा। उसमें मनुष्य की आयु १६ वर्ष की ही होगी। स्त्री ६ वर्ष में गर्भ धारण करेगी। एक हाथ की काया होगी। अग्नि की भीषण वर्षा होने से लोग रात्रि को खाने की खोज के लिए निकलेंगे। मत्स्य इत्यादि जीवों को सेक-सेक कर खाएंगे। दु:ख का साम्राज्य फैला हुआ रहेगा। मनुष्य के शरीर में से अत्यन्त दुर्गन्ध आएगी और प्रायः जीव मरकर दुर्गति में जाएंगे। यह छट्ठा आरा भी २१,००० वर्ष तक रहेगा। उसके बाद उत्सर्पिणी काल आएगा। उसका पहला आरा छटे आरे के समान, दूसरा आरा पाँचवें आरे के समान,

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