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सोळमा अने सत्तरमा सैकानुं पद्य तथा गद्य ५७९ इहिनिशि अविलोकन करइ एह प्रबोधप्रकाश । ते नर नारायण तणूं पामइ पद अविनाश ॥ १९ ॥
(पृ० ३) नायक नंदी रंगाचार उत्तम मध्यम पात्र विचार । लघु गुरु गण पिङ्गल प्रस्ताव नाटक भेद न जाणूं भाव ॥ २५ ॥ विष्णुभक्तजन तणा प्रसादि प्रबोधचंद्रोदय अनुवाद । कहोस विचार सार संक्षेप पंडित रखे कर आखेप ॥ २६ ॥ यहां मोटा कवि रवि उयोत त्यहां हूं कवण मात्र खद्योत । माणिक जमली गुंजा यथा दोष म देशु देखी कथा ॥ २७ ॥ वैकुंठपति पुरुषोत्तम एव अवतरिआ हरि घरि वासुदेव । कंटक कंस महारिपु मारि उग्रसेननई राजि बिसारी ॥ २८ ॥ जरासन्ध सालव शिशुपाल भीषम दुर्योधन भूपाल । दरशन मात्र हयाँ ते आइ दी● राज युधिष्ठिर राइ ॥ २९ ॥ अवनीकेर भार ऊतारि आव्या हरि द्वारिका मझारि । शिंघासणि सोहइ सामला दिन दिन दीपइ चडती कला ॥ ३० ॥ नवनिधिपूरित द्वारामती भव-आमय भेषज गोमती । श्रीजसवंत संत प्रतिहार इहिनिशि उच्छव मंगल चार ॥ ३१ ॥ सभामांहि बइठा धरि धीर छपन कोडि कुल यादव वीर । सुभट महाभट समरथ शूर निज सेवक उद्धव अक्रूर ॥ ३२ ॥ राजा गुणसागर गोव्यंद श्रीपति पूरण-परमानंद । धर्मशिला हरि आगलि सार रचियूं नाटक करी विचार ॥ ३३ ॥
(पृ० ४)
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