Book Title: Gujarati Bhashani Utkranti
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Mumbai University

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Page 674
________________ उपसंहार ६५१ तेसिं च जणवयाणं अलंकारभूया x x x नयरी बारवई नाम"-पृ० ७७)-" पश्चिम समुद्र कांठानो आश्रय करीने चार देशो आवेला छे. आणट्टा-आनर्त, कुसहा-कुशावर्त, सुरहा-सौराष्ट्र अने सुक्करट्ठा एटले शुष्कराष्ट्र. कदाच कच्छना रणनो प्रदेश वा थरपारकरना रणनी साथे संबंध राखतो सिंधनो प्रदेश 'शुष्कराष्ट्र' शब्दथी सूचवेलो होय. 'सुक्कर' शब्दनुं साम्य शुष्कराष्ट्र, शुक्रराष्ट्र के शुक्लराष्ट्र शब्दो साथे छे. परंतु अहीं पश्चिम समुद्रना अने रणना संबंधने लीधे 'सुक्करहा' ऊपरथी 'शुष्कराष्ट्र' नी कल्पना सूझी छे. . कहेवानुं ए छे के वसुदेवहिंडि ग्रंथनो प्रादुर्भाव थतां सुधीमा आखा गुजरात माटे उक्त शब्दो सिवाय कोई बीजो शब्द प्रचार नहीं पामेलो होय. "गुज्जर' अने ' आणहा' ना समास · गुज्जराणहा' द्वारा पण 'गुज्जरत्ता' पद नथी आवी शकतुं. आ बधुं जोतां गुज्जर, गूर्जर, गुर्जरत्रा के गुज्जरत्ता ए बधां पदोनी व्युत्पत्ति विशेष शोधनी अपेक्षा राखे छे. २२१ हेमचंद्रे भले 'गुर्जर' माटे 'गूर्' धातुनी कल्पना करी; परंतु मूळ शब्द गूर्जर नथी. ए तो ‘गुज्जर' ऊपरथी उपजावेलो शब्द छे अने 'गुजर' शब्दनो उच्चार पण आपणे जे जातनी जोडणी करिए छिए तेवो ज छे वा अन्य प्रकारे छे ए बाबतनो निर्णय आपवो पण कठण छे. ज्यां सुधी ए शब्दना मूळ धातुनी खरी कल्पना न आवे त्यां सुधी ए विशे कांई ज न कही शकाय. फारसीमां गुज़र, गुजरना, गुजरी, गुजारना अने गुजारा एवा पांच शब्दो प्रस्तुत 'गुज्जर' पदनी साथे शब्ददृष्टिए समाफारसी नता धरावे एवां छे. गुज़र एटले १ निकास-गति, गुज़र २ पैठ–पहुंच-प्रवेश, ३ निर्वाह. गुज़रना एटले (मूळ गुजर) वीत, पहोंचq अने हाजर थवं. गुजरी (मूळ गुज़र) एटले Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org

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