Book Title: Gujarati Bhashani Utkranti
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Mumbai University

Previous | Next

Page 676
________________ उपसंहार ६५३ लईने आपणा राष्ट्रीय संगठनमां मोटी नडतर आवे छे, अने ते स्थिति सोनानी थाळीमा मेख जेवी छे. २२३ आजथी पांचवें वर्ष पूर्वे के तेथी य वधारे पूर्वना समयमां . आपणा देशनी स्थिति आवी न हती. ते समये जे पांचसे वर्ष पूर्वे एक जेवी भाषा भाषा चालती ते लगभग प्रत्येक प्रांतवासीनी समअने झमां आवी जाय एवी एक जेवी हती अने आने ते संबंधे ___लईने आपणे ते समये भाषादृष्टिए एक प्रजा जेवा उदाहरणो हता, आ माटे बे-चार उदाहरणो पूरतां छे. समय मोडामां मोडो तेरमो सैकोवज्रयानसंप्रदाय-सरहपा सिद्ध, निवास–पूर्वभारत नालंदा. “घोरंधारे चंदमणि जिमि उज्जोअ करइ परम महासुह एकु खणे दुरिआ अशेष हरइ". " जइ नग्गा विअ होइ मुत्ति ता सुनह-सियालह लोमोप्पाटने अस्थि सिद्धि ता जुवइनितंबह". "पिच्छीगहणे दिट्ठ मोक्ख ता मोरह चमरह उब्धे भोअणे होइ जाण ता करिह तुरंगह ". आ भाषा, पूर्वभारतमां आवेला राजगृह-नालंदामां वसनार एक सरहपा नामना सिद्ध पुरुषनी छे. तेमां मार्मिक उपदेश छे. एनी ते तळपदी भाषा छे. आनी साथे हेमचंद्रना तथा सोमप्रभना आगळ जणावेला दोहानी भाषाने सरखावशो तो लेश पण फेर नहीं जणाय. क्यां पाटण अने क्यां नालंदा ? छतां आटलं बधु भाषासाम्य हतुं. कण्हपा, महीपा Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706