Book Title: Gujarati Bhashani Utkranti
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Mumbai University

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Page 675
________________ गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति दिवसे त्रीजे प्होरे-सडकोनी पासे भराती बजार. 'गुजारना' नो अर्थ उक्त 'गुजरना' ने मळता जेवो छे. “गुज़ारा' एटले–१ निर्वाह, २ निर्वाह माटे देवातो पगार अने महेसूल लेवानुं थाणुं. _ 'गुजर' नो बीजो उच्चार ' गजर' पण प्रचलित छे; परंतु ते मूळ नथी किंतु 'गुज्जर' ऊपरथी आवेलो छे अने घणुं करीने ' ठाकोर 'नो जेम अंग्रेजोए 'टागोर' ध्वनि बनाव्यो छे तेम ज ए ‘गजर' पद पण सर्जायु छे. २२२ हेमचंद्रना समये गुजरातनी भौगोलिक मर्यादा घणी विशाळ हती: विद्यावारिधि श्री आनंदशंकरभाई कहे छे (वसंत भौगोलिक मर्यादा वर्ष ३७, अंक ४ पृ० २०२) तेम आपणो गुजरात आनर्त, सौराष्ट्र अने लाट ए त्रण प्रदेश मळीने थयेलो छे. आनर्तनी मर्यादा--उत्तरे आबु, पश्चिमे काठियावाड, पूर्वे माळवा, दक्षिणे मही, खंभात, अने लगभग नर्मदाकांठा सुधीनो प्रदेश छे. सौराष्ट्र एटले ज काठियावाड अने लाट ते, के जेनुं मुख्य नगर भरूच छे. लाटनो विस्तार मही अने नर्मदाथी मांडी दक्षिणे नवसारी अने दमण सुधी. लाटर्नु मुख्य बंदर सोपारा. 'कच्छ ' अने 'सौवीर' ए बे विशाळ गुजरातना पाडोशी प्रदेशो छे. अहीं जे जे कृतिओना नमूना आप्या छे तेना करनारा, एक अपवाप सिवाय बधा तळ गुजरातना छे ए ध्यानमा रहे. आपणे जे समयमा रहिए छिए ते छे तो एक रीते सुवर्णयुग; परंतु गुजरात, महाराष्ट्र, अवध, बंगाळ अने उत्कल वगैरे आपणा भारतीय प्रांतोनी भाषा वर्तमानमां एकबीजाथी एटली भिन्न भासे छे के जेने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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