Book Title: Gujarati Bhashani Utkranti
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Mumbai University

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Page 671
________________ ६४८ गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति तेवी रीते वीगतथी चर्चा करेली छे अने ए रीते हुं मारी पूर्वे करेली प्रतिज्ञाने, कृपाळु परमात्मानी कृपाथी अहीं पार पाडी शक्यो छं. २१९ प्रस्तुत प्रबंधमां में प्रधानपणे शब्ददृष्टिए ज विवेचन करेलुं छे. एथी गुजराती कृतिओना जे नमूनाओ अहीं जणाव्या छे तेमनुं काव्यदृष्टिए के छंददृष्टिए में लेश पण निरूपण कर्यु नथी. वळी, प्रस्तुत प्रबंधमां शुद्ध साहित्यनी दृष्टिए चर्चा करेली छे. तेमां क्यांय संप्रदायभेदे वा एवा बीजा संकोचवाळा भावे स्थान लेश पण नथी रोक्यु ए तरफ आप सौनुं ध्यान खेंचु छु.। हुँ जाणुं छु के, भाषानी चर्चा साथे इतिहास अने भूगोळनी चर्चाने गाढ संबंध छे. अने एम छे माटे मारे अहीं गुजरातनो इतिहास अने भूगोळ विशे जरूर थोडु घणुं कहेवू जोईए, छतां आगला पानाओमां में ए विशे एक अक्षर पण उच्चार्यों नथी, प्रथम तो ए विशे मारे विशेष कहेवापर्यु नथी. जे कांई ते बाबत आज सुधी कहेवाई के लखाई गयुं छे, तेमां खास नवु उमेरवानुं नथी. एथी अहीं ए बाबतनुं पिष्टपेषण न करवानुं ज उचित समजु छं. २२० 'गुजरात' नी व्युत्पत्ति माटे घणा विद्वानोए चर्चा करी छे. __प्राकृत ‘गुज्जरत्ता' अने संस्कृत ‘गुर्जरत्रा' ए बन्ने 'गुजरात'नी - शब्दो घणा जूना छे. विक्रमना नवमा दशमा व्युत्पत्ति सैकाना संस्कृत-प्राकृत शिलालेखोमां ‘गुर्जरत्रा' अने 'गुज्जरत्ता' ए बन्ने शब्दो वपरायेला छे. बीजे केटलेक स्थळे गुर्जरधरा, गुर्जरमण्डल अने गुर्जरदेश ए रीते पण 'गुजरात' देशने सूचवेलो छे. वादी देवसूरि, देशवाची 'गूर्जर' शब्दने नोंधे छे. (स्याद्वादरत्नाकर पृ० ७०३ पं० १४). आ० हेमचंद्र " गूर्जरः सौराष्ट्रादिः” (उणादि सू० ४०४) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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