Book Title: Gujarati Bhashani Utkranti
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Mumbai University

Previous | Next

Page 667
________________ ६४४ गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति परिचित अने गाढप्रेमपात्र वेश्याने त्यां आवीने रह्या छे, छतां ध्रुवनी जेम एटला बधा निश्चळ रह्या छे के जेथी वेश्या, वेश्या मटी पतिव्रता बने छे अने गृहस्थधर्म ले छे. प्रस्तुत फागमा वेश्या अने जति थूलिभद्र बच्चे थयेलो संवाद सरस रीते ओजस्वी शब्दोमां वर्णवायेलो छे. २१४ चौदमा सैकानुं गद्य पण नमूनारूपे मूकेलं छे. तेनी भाषा तो बोलचालनी ज छे. गद्यनो विषय जैन संप्रदायनी धार्मिक विधिओने लगतो छे. एटले तेनी भाषा तळपदी छतां सांप्रदायिक शब्दोथी मिश्र थयेली छे. आम छतां य ए गद्यनी भाषा, पद्यनी भाषा करतां चौदमा सैकानी भाषानो विशेष स्पष्ट ख्याल आपे एवी छे. वळी संस्कृतना विद्यार्थिओ माटे संग्रामसिंह नामना पंडिते ते समयनी चालु बोलीमां 'बाल-शिक्षा' नामनुं एक व्याकरण रचेलं छे. तेमां संस्कृतभाषानां नाम-रूपो, क्रियापदरूपो अने बीजा अनेक शब्दो समझाववा ते पंडिते तुलनात्मकदृष्टिने प्रधान स्थान आपीने पोताना समयनी प्रचलित भाषाना प्रयोगोनो आश्रय लीधो छे. ते ग्रंथमाथी नमूनारूपे अहीं केटलोक ऊतारो आपेलो छे. भाषाना प्रयोगोने समझवा सारु कथावार्ताना साहित्य करतां आ ऊतारो विशेष उपयोगी छे. २१५ पन्दरमा सैकाना पहेला दसकाथी ते अंतिम दसका सुधीनी भाषाना नमूना आपेला छे. ते गद्य अने पद्य बन्ने प्रकारना छे. गद्यना नमूनामां नानी नानी वार्ताओ छे. पद्यना नमूनाओमां सर्व प्रथम कवि असाईतनी हंसाउलीनो उपयोग पूरतो ऊतारो लीधेलो छे अने बीजो ऊतारो कवि भीमनी सदयवत्सनी कथाने लगतो छ; ए गद्य अने पद्य उभयना नमूना पन्दरमा सैकानी गुजरातीनो घणो स्पष्ट ख्याल आपे छे. प्रस्तुत व्याख्यानोने लगतां वांचन-परिशीलन अने परस्पर तोलनने लीधे मने जे थोडो घणो अनुभव थयो छे ते ऊपरथी नम्रतापूर्वक कही Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706