Book Title: Gujarati Bhashani Utkranti
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Mumbai University

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Page 663
________________ ६४० गुजराती भाषानी उत्क्रान्ति नथी, त्यार पहेलां वधारे पडती अनिश्चितता नथी भासती, तथा 'मुख्य' ने बदले 'मुक्ष्य' जेवां केटलांक विचित्र उच्चारणो पण सोळमी सदीनी कृतिओमां रही गयेलां छे. सैकावार एक एक सळंग कृतिनी भाषा परीक्षा कराय अने ए रीते अढारमा सैका सुधीनुं संपूर्ण गवेषण थाय तो गुजराती भाषानुं घडतर, बंधारण, व्युत्पत्ति, जोडणी अने एक एक शब्दोनां भिन्न भिन्न उच्चारणो ए बधी हकीकतो विशे वधारेमां वधारे प्रकाश पडे अने शब्दोना रूपान्तरो तथा तेमना अर्थना इतिहास विशे पण घणुं न, जाणवानुं मळे; परंतु ए कार्य अनेक वर्ष अने अनेक व्यक्ति साध्य छ एथी अहीं तो में मारी शक्ति अने मर्यादा विचारी स्थालीपुलाकन्याये सैकावार ऋण त्रण कृतिओने तपासवान निधीरेलुं अने ते प्रमाणे ते तमाम कृतिओनुं गवेषण करी गुजराती भाषानो क्रमिक विकास जे रीते हुं समझ्यो छु ते रीते बताववा प्रयत्न कर्यो छे. २१० उक्त बधी कृतिओमां प्राकृत अने संस्कृत शब्दोनी बहुलता छे. प्राचीन अपभ्रंशनो शब्ददेह प्राकृतरूप छे अने गुजरातीनी माता ए प्राचीन अपभ्रंश छे एथी तेरमा सैका सुधीनी गुजरातीमां प्राकृतनी बहुलता दीसे ए स्वाभाविक छे. चौदमा पछी ते बन्नेनी-संस्कृत अने प्राकृतनीबहुलता छे अने तेमां देश्य प्राकृत शब्दो पण वपरायेला छे; परंतु संस्कृत अने प्राकृत करतां देश्य शब्दोना टका ओछा छे अने आगळ जणाव्या प्रमाणे आर्योनी पवित्रतम वैदिक भाषामां पण अनार्योना शब्दो पेसी गया छे, ते रीते अनार्य शब्दोना संसर्गथी संस्कृत भाषा पण बची नथी तो लोकभाषामां एवा शब्दो आवे ए सहज जेवू छे. चौदमा सैकानी भाषाथी ठेठ अढारमा सैका सुधीनी गुजराती भाषामां क्यांय क्यांय एवा शब्दो वपरायेला छे अने ते विशे यथास्थान निदर्शन पण करावेलु छे. एवा फारसी वगैरेना शब्दो घणा ज ओछा आवेला छे ते ध्यान बहार न जाय. गमार, तरक, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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