Book Title: Gujarati Bhashani Utkranti
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Mumbai University

Previous | Next

Page 646
________________ अढारमा सैकानुं पद्य तथा गद्य कर जोडीने धर्म एम बोल्या कोहो त्रेहेदश रूषी राए । घणु दुख पांम्यो नलराजा ते श्रु कारण केहेवाए ॥ २४ ॥ कोण देशनो नरेश काहावे केम परणो दमयंती । ते नारी नले केम छांडी कां मुकी भमयंती ॥ २५ ॥ उतपत्य कोहो नल दमयंतीनी अथ ईती कंथा ए । दुषीआनु दुष प्रकाश करतां भागे मन था ए ॥ २६ ॥ वलण वथा ए माहारी भागशे एम कहे जुधीष्टर राए । कहे भट प्रेमानंद नैशदतणी कथा ए ॥ २७ ॥ अंतिम भाग, पृ० ३८६ ) माता पीता गुरु वीप्र वैष्णव शेवा करे शर्व कोए जी । परनंदा परनारी परधंन को कद्रष्टे न जोए जी ॥ ३३ ॥ हेवू राज नलनाथे कीधु पुन्यश्लोक धराव्यू नांम जी । पुत्रने राज आशन आपी गयो तप करवा राजन जी ॥ ३४ ॥ अनशन व्रत करी देह मुको आव्यूं दीव्य वेमांन जी । वैकुंठ नल दमयंती पोहोतां पांम्यो श्रीभगवान जी ॥ ३५ ॥ ६२३ दश के श्रुण राए जुधीष्टर एहेवो हवो नथी नव्य होए जी । ए दुख आगल ताहरा दुख ने जुधीष्टर श्रु रोए जी ॥ ३६ ॥ काले अरजुन आवशे राजा करी उतम काज जी । कथा शांभली पागे लागो मुनीवरने माहाराज जी ॥ ३७ ॥ परताप गयो माहारा मननो शांभली साधु चरीत्र जी । अवीचल वांणी हेदशजीनी हु पत्तीत थयो पवीत्र जी ॥ ३८ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706