Book Title: Girnar Geetganga
Author(s): Hemvallabhvijay
Publisher: Girnar Mahatirthvikas Samiti
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तनमां मनमां रोमरोममां, स्मरण प्रभुनुं व्याप्यु, संयमचित्तने प्रभुमय द्वारा, स्थिर करीने स्थाप्युं कर्यो अडग निर्धार... माया ममता मोहना बंधन, मूळथी अळगा कीधा, वाघा आ दंभी दुनियाना, पळभरमां फगावी दीधा, थई दीधा अंगीकार...
वीरा रे
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(राग : बेना रे...) वीरा रे... शूरवीरो तो संयमना पंथे चाल्या जाय वसमी लागे छे अमने तारी विदाय... आंखडी भीजाय दीलकुं दुभाय... वसमी लागे छे. माता पितानी आंखनो तारो, लाडलो मारो भाई (२) बेनी तारी जोने रुवे छे, डूसके डूसका खाई, वीरा रे... आंसुडानी धारने ठोकर ना मराय... वसमी लागे छे. नाजुकं काया नमणो चहेरो, जाणे गुलाबनो गोटो (२) सौथी रे नानो सौथी रे व्हालो, शेनो पड्यो तने तोटो, वीरा रे... ओछु | आव्युं तुजने ओ ज ना समजाय ...वसमी सुरजदादा ! धीमा रे तपजो, वादळ देजो रे छाया (२) लाडला वीराने विहार करता, जो जो कांई ना थाय वीरा रे... विहार करता करता पगनी पानी ना छोलाय ...वसमी आज अमारा पुण्य अधूरां, आवी शक्या ना जोडे (२) बोध हवे तुं देजे अवो, बंधन अमारा तोडे, वीरा रे... तारा पगले पगले चाली करशुं सागर पार ...वसमी
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