Book Title: Girnar Geetganga
Author(s): Hemvallabhvijay
Publisher: Girnar Mahatirthvikas Samiti
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लाभ लेजो (२) रे, आवेला भाईओ तमे लाभ लेजो रे, तनथी लेजो, मनथी लेजो, धनथी लेजो रे, प्रभुजीनी पूजानो तमे लाभ लेजो रे सिद्धचक्र पूजननो तमे... आ जिंदगीमां चोपडानो, सरवाळो मांडजो, आज सुधी जीव्या छो केटलुं ने केवं. केटली कमाणी करी, केटलुं छे देवं, काढी सरवैयुं ने, लाभ लई लेजो रे. करवानुं भाई आज करी ले, वीर प्रभुनुं नाम रटी ले, . काले शुं थनार एनी, कालनी कोईने खबर नथी, भक्तिनु भाथु आज भरी ले, पुण्यना कामो आज करी ले,.
काले शु थनार... • ले जावे ले जावे पुण्याशाळी चढावा ले जावे,
रह जावे रह जावे मोटा शेठ देखता रह जावे... दिल खोल के बोली बोलो, ताले तिजोरी के खोलो, ये मौका अरे, वापस नहीं आयेगा...! बोली जो छूट जायेगी, मनमें ही रह जायेगी, अरे लाल ! तुं मनमें पछतायेगा... अंजनशलाका होती है ओक बार, प्रतिष्ठा नहीं होती बारबार अवसर आया है, बोली बोल दो, दिल के दरवाजे भाई खोल दो... अवसर बोलना हो तो बोलो ये बोली अब छूट जायेगी, मन में ही रह जायेगी (जलदी बोलो) नोटो के बंडल खोलो वर्ना सरकार लूंट जायेगी, मन में ही रह जायेगी (जलदी बोलो)
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