Book Title: Girnar Geetganga
Author(s): Hemvallabhvijay
Publisher: Girnar Mahatirthvikas Samiti
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मनमां बोली बोलुं बोली बोलुं थाय, मारा मनडानी वात, मारा दिलडानी वात, माराथी बोली बोलाय...
भले पुण्य लाव्या, भले पाप लाव्या, भले रम्य जाले सहुं फसाया, छतां साथे कांई अमे नथी रे लई जवाना, अमे मोक्ष नगरमां जवाना... जवाना.... काम जैसा करीओ, धन्ना शेठ ने किया
राणकपुर बनवाके, जगमें नाम कर दिया.... • बेसबुं होय तो बेसी जाओ, गाडी उपडी जाय छे,
गाडी उपडी जाय छे ने वेला वीती जाय छे. जिंदगीमां केटलुं कमाणा रे, जरा सरवाळो मांडजो समजु सज्जनने शाणा रे, जरा सरवाळो मांडजो लाव्याता केटलुं ने लई जवाना केटलुं ? आखीर तो लाकडाना छाणा रे, जरा सरवाळो मांडजो. मोटर वसावीने बंगला बंधाव्या, खूब कीधा अकठा नाणां रे, जरा सरवाळो मांडजो. तारी ओक ओक पल जाये लाखनी, तुं तो बोलीले बोली प्रभु नामनी । तुं तो छोडी दे फिकर आखा गामनी, तारी जिंदगी छे चार दिननी चांदनी.. डंको वाग्यो, शासनना प्रेमी जागजो रे.... प्रेमी जागजो रे, धर्मी जागजो रे, बोली बोलीने ल्हावो तमे लेजो रे, ल्हावो लेजो रे, शासन शोभावजो रे...

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