Book Title: Girnar Geetganga
Author(s): Hemvallabhvijay
Publisher: Girnar Mahatirthvikas Samiti

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Page 311
________________ - - * नित्य आराधना : १. उभयटंक प्रतिक्रमण. २. जिनपूजा तथा ओछामां ओछु ओक वखत दादा देववंदन. ३. ओछामा ओर्छ एकासणानुं पच्चक्खाण. ४. भूमि संथारो. ५. दरेक यात्रामां मूळनायकनी ३ प्रदक्षिणा. ६. "उज्जित सेलसिहरे दिकखा नाणं निसीहिआजस्स्, तं | धम्मचक्कवृष्टि अरिट्टनेमि नमसामि" अथवा "ॐ ह्रीं श्री नेमिनाथाय ॥ नमः"नी २० नवकारवाळी. |७. "श्री रैवतगिरि महातीर्थ आराधनाएं..." ९ लोगस्सनो काउस्सग्ग. ८. गिरनार महातीर्थना ९ खमासमणां. ★ ९९ यात्रा दरमियान १ वखत मूळनायक दादानी १०८ प्रदक्षिणा/१०८ लोगस्सनो काउस्सग्ग/आखा गिरनार गिरिवरनी प्रदक्षिणा (लगभग २८ कि.मी.) ★ ९ वार पहेलीटुंकना दरेक देरासरनां दर्शन. ★ १ वार चोविहार छठ्ठ करीने सात यात्रा. ★ यात्रा दरमियान अकवखत गजपदकुंडना जलथी स्नान करी परमात्मानी पूजा करवी. गिरनार गिरिवरनी ९९ यात्रा केवी रीते करशो? गिरनारनी ९९ यात्राथी आप गभराई गया ? तेमां गभराववानी कोई जरुर नथी - हकीकतमां शत्रुजयनी ९९ यात्रा करतां तो गिरनारनी ९९ यात्रा साव सरळ छे. हा! हा !! तेमां आश्चर्य पामवानी जरुर नथी. * शत्रुजयनी प्रथम यात्रा लगभग ३६०० पगथिया थाय, गिरनारनी पहेली यात्रा लगभग ३८४० पगथिया थाय. 30२

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