Book Title: Girnar Geetganga
Author(s): Hemvallabhvijay
Publisher: Girnar Mahatirthvikas Samiti
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हे जीरे... अरिहंत जेवा नाथ मलो ने, गुरुजनोनो साथ मलो, हे जीरे... गिरनार जेवुं तीर्थ मलोने, नेमिनाथनुं सत्त्व मलो, हे... घनन घननन घन घंटा वागे, टनन टननन टन कार करे, अरे घम घम घम घम घुघरी वागे, मारे हैये भक्तिनो भाव चढे... हे... फरर फररर फरके ध्वजाओ, मंदिर तारे सोहामणी, अरे टगर टगर सौ जुवे, धजाओ पेली सुहावणी...
हे... तारक तीरथ अ भलुं, गिरनार गिरिराज. हे... आशधरीने आवीयो, दर्शन करवा काज. हे... कल्पतरु सम शोभता, महिनानो नही पार. हे... करुणासागर आवजो, अंतर केरा द्वार. हे... पंच परमेष्ठीनुं शरण मलो ने, दर्शन ज्ञानने चरण मलो. हे... नवकार मंत्रनुं रटण मलोने, सुख समाधि मरण मलो. हे... जैन कुले अवतार मलो ने सांभळवा जिनवाणी मलो. है.... जिनपूजा त्रणकाल मलोने, अंतसमय नवकार मलो.
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