Book Title: Girnar Geetganga
Author(s): Hemvallabhvijay
Publisher: Girnar Mahatirthvikas Samiti

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Page 304
________________ चलतीना दुहा हे... परम उपकारी पावनकारी समताधारी सुखकारी, करुणाकारी वाणी तमारी, मंगलकारी जयकारी रे; हे... शिखामण तमारी बहुओं सारी, सुणता सहेजे नरनारी... अमारी विनंती ल्यो अवधारी, आंगण आवो अवधारी... हे... गान तमारा गाता गाता, अमे समयनुं भान भूल्या, खावुं भूल्या, पीवुं भूल्या, उंघ अने आराम भूल्या; ... राग भूल्या ने द्वेष भूल्या वळी पापतणो व्यापार भूल्या, ओवा अकाकार थया के, सळगेलो संसार भूल्या... हे... परम पुरुष तुं परमेश्वर छे, नेमिनाथ ओ कृपा करो, दुनियामां हुं रखडुं स्वामी, दुःखडा मारा दूर करो; हे... जैन कुले अवतार मलो ने सांभळवा जिन वाणी मलो, जिन पूजा त्रण काल मळो अने अंत समय नवकार मलो... हे... रुमझुम (२) करती बालीका, नृत्य करती आवी रही, हे... पंच दीपनी आरती करती, प्रभुना गीतो गाई रही; हे... पाये पडंती नमन करती, सोले शणगारे नाची रही, हे... प्रभु भक्तिमां मस्त बनीने, दीपक ज्योती जलावी रही. हे जीरे... राय श्रेयांसनुं दान मलो ने शेठ सुदर्शननुं शील मलो, हे जीरे... ऋषभदेवनुं तप मलो ने, भरत राजानो भाव मलो, हे जीरे... सुंदर शासन सेवा मलो ने प्रभु भक्तिना मेवा मलो, हे जीरे... दान सुपात्रे देवा मलो ने, जिन चरणोमां रहेवा मलो, ૨૯૫

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