Book Title: Girnar Geetganga
Author(s): Hemvallabhvijay
Publisher: Girnar Mahatirthvikas Samiti

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Page 300
________________ गुरुदेव मेरे दाता गुरुदेव मेरे दाता हमको औसा वर दो, सेवा सुमीरन सत्संग, जोली में मेरे भर दो (२) नफरत जो करे हमसे, हम उनसे प्यार करे, करते जो हमारा बुरा, उनका सत्कार करे, नफरत को मीटा करके तुम प्यार का रंग भर दो... मेरे मनके मंदिर में, गुरुदेव तुं बस जाये, जीसको भी देखें मैं, तेरा रुप नजर आये, दे ज्ञानका अमृत तुं, जीवनको सफल कर दो... तुम्ही हो भ्राता (राग : तुम्ही हो माता...) तुम्ही हो भ्राता, तुम्हीं हो त्राता; सद्गुरु तुम्ही हो जगत विधाता... गुरुमां... गुरुमां... तुम्ही हो सुख, तुम्ही हो शांति; तुम्हीं से मेरी, भागे भयभ्रांति... गुरुमां... गुरुमां... तुम्ही हो ज्ञान, तुम्ही हो ध्यान; तुम्ही हो दया, सागर महान... गुरुमां... गुरुमां... तुम्हीं हो दृष्टि, तुम्ही हो सृष्टिः तुम्ही हो मेरे, पुण्यकी पुष्टि... गुरुमां... गुरुमां... तुम्ही हो यंत्र, तुम्ही हो तंत्र; तुम्ही हो मेरे, प्राणप्रिय मंत्र... गुरुमां... गुरुमां... - तुम्हा Sea.arunama

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