Book Title: Girnar Geetganga
Author(s): Hemvallabhvijay
Publisher: Girnar Mahatirthvikas Samiti

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Page 301
________________ तुम्ही हो रिद्धि, तुम्ही हो सिद्धि तुम्हीं से मेरे, जीवन की शुद्धि... गुरुमां... गुरुमां... तुम्हीं हो शक्ति, तुम्ही हो भक्ति; तुम्हीं से मेरे, आतम की मुक्ति... गुरुमां... गुरुमां... गुरुवर तेरी परम . (राग : कसमेवादे प्यार) गुरुवर तेरी परम क्रिया का, ईस जगमे कोई पारना (२) . तुम बिन मेरी जीवन नैया, पावे कभी किनारा ना, गुरुवर तेरी परम क्रिपाका, ईस जगमें कोई पार ना... मानवभव मुश्किलसे पाया, भटकके लख चौराशी मैं, क्रोध कपट मद मान विषयवस, रहा में आशा दासी मैं, गुरु बिन मुज जीवननैयाका, कैसेभी उद्धार ना... गुरुवर तेरी... गुरुकी महिमा जगमे भारी, भवजल तारनहारी है, भेद भरम सब दूर मिटाने, जग जन मंगलकारी है, गुरु चरणोकी रजसे बढकर, मेरा कोई शिंगार ना.... गुरुवर तेरी... मनकी दुविधा दूर करो गुरु, चिदानंद भरपूर भरो, अपने रंगमे रंगलो गुरुजी, इतनाही उपकार करो... गुरुवर तेरी... Ti..15utRIANP

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