Book Title: Fool aur Parag
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 9
________________ कहाना साहित्य उतना ही पुराना है जितनी मानव सभ्यता। सभ्यता और संस्कृति के आदिकाल से ही मानव अपने अनमोल अनुभव सुनाने के लिए कथाओं का सहारा लेता रहा है। पर देश काल और परिस्थिति के अनुसार कभी उसमें अनुभवों की प्रधानता रही है तो कभी कमनीय कल्पना का प्राधान्य रहा है। मानव की विचार पद्धति और जीवन पद्धति में जब-जब नया मोड़ आया तब-तब कहानियों में भी परिवर्तन होते रहे हैं । नये-नये आयाम प्राप्त होते रहे हैं । नये-नये आयास प्राप्त होते रहे हैं। परी-लोक की कहानियों से लेकर अद्यतन वैज्ञानिक कहानियों का पर्यवेक्षण करें तो सूर्य के उजाले की भाँति स्पष्ट ज्ञात होगा कि कहानियों में अनेक उतारचढ़ाव आये हैं, वे उतार-चढ़ाव कहानी साहित्य के इतिहास के विभिन्न पडाव कहे जा सकते हैं। आज हिन्दी साहित्य का कहानी साहित्य प्रतिक्षण प्रगति कर रहा है। पर परिताप है कि अधिकांश कहानियाँ सेक्स प्रधान भावनाओं से ओत-प्रोत हैं। वे कहानियाँ जीवन का विकास नहीं, विनाश करती हैं। प्रस्तुत पुस्तक में मेरे द्वारा लिखित इक्कीस कहानियाँ जा रही हैं। इनमें कुछ कहानियाँ जैन लोक कथाओं पर आधृत हैं तो कुछ इतिहास से सम्बन्धित हैं तो कुछ कल्पना प्रधान है। सभी कहानी का मूल उद्देश्य मानव के विमल विचारों का विकास करना है। कुछ कहानियाँ Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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