Book Title: Fool aur Parag
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 8
________________ लेखक की कलम से.... कहानी कला के मर्मज्ञ सुप्रसिद्ध साहित्यकार मुशी प्रेमचन्द ने एक स्थान पर कहा है 'कहानी साहित्य का एक मधुर प्रकार है।' मनोविनोद और ज्ञानवर्धन का जितना सुगम, सरल व सरस साधन कहानी साहित्य है उतनी साहित्य की अन्य विधाएं नहीं है। कहानियों में मित्र सम्मत व कान्ता सम्मत उपदेश प्राप्त होता है, जो श्रवण करने में मधुर और आचरण करने में सुगम होता है। यही कारण है कि मानव अपने गुलाबी बचपन में ही कहानी से प्रेम करने लगता है। माता, नानी व दादी की गोद में बैठकर वह कहानी सुनना पसन्द करता है। कहानी के द्वारा जीवन और जगत के, आत्मा और परमात्मा के, तत्त्वज्ञान और दर्शन के, उपदेश और नीति के, इतिहास और भूगोल के, सभ्यता और संस्कृति के जैसे गम्भीर विषय भी वह सहज ही हृदयंगम कर लेता है। वेद, उपनिषद्, महाभारत आगम और त्रिपिटक की हजारों लाखों कहानियां इस बात की प्रबल प्रमाण हैं कि मानव कहानी को कितने चाव से कहता और सुनता आया है। कथाशिल्पी बाबू शरतचन्द्र ने ठीक लिखा है कि जिसे पढ़कर आनन्दातिरेक से आँखें गीली न हो जाए तो वह कहानी कैसी?' Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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