Book Title: Fool aur Parag
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 7
________________ प्रस्तुत पुस्तक में वे एक कहानीकार के रूप में हमारे सामने आ रहे हैं। उन्होंने सैकड़ों कहानियाँ व हजारों रुपक भी लिखे हैं। हमारा हार्दिक प्रयास है कि वे यथाशीघ्र पाठकों के सामने प्रस्तुत किये जायें, पर ग्रन्था लय की अपनी आर्थिक मर्यादा है। अर्थ सहयोगियों का उदार सहयोग प्राप्त होने पर हम क्रमशः प्रकाश में ला सकेंगे। देवेन्द्रमुनि जी की द्वितीय रुपकों की पुस्तक 'खिलती कलियाँ मुस्कराते फूल' भी प्रेस में जा चुकी है, आशा है वह भी शीघ्र पाठकों की सेवा में प्रस्तुत हो जायेगी। मंत्री, शांतिलाल जैन श्री तारक गुरु ग्रन्थालय, पदराडा Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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