Book Title: Eso Panch Namukkaoro
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 62
________________ ४२ : एसो पंच णमोक्कारो दो ।' जब व्यक्ति में अन्दर की चेतना जाग जाती है तब वह कामनापूर्ति के पीछे नहीं दौड़ता, तब वह इच्छापूर्ति का प्रयत्न नहीं करता। वह उस बात के पीछे दौड़ता है, वह उस मंत्र की खोज करता है जो कामना को काट दे, उसके स्रोत को ही सुखा दे। उसे वह मंत्र चाहिए जो इच्छा का अभाव पैदा कर दें, इच्छा के स्रोत को नष्ट कर दे । नमस्कार महामंत्र इसीलिए है कि उससे इच्छा की पूर्ति नहीं होती, किन्तु इच्छा का स्रोत ही सूख जाता है। जहां सारी इच्छाएं समाप्त, सारी कामनाएं समाप्त, जहां व्यक्ति निरीह और निष्काम बन जाता है और कामना के धरातल से ऊपर उठ जाता है, वहां उसका अर्हत् स्वरूप जागता है। यही नमस्कार महामंत्र का प्रयोजन है और इसीलिए यह केवल मंत्र ही नहीं महामंत्र है । नमस्कार महामंत्र से भी ऐहिक कामनाएं पूरी होती हैं, किन्तु यह उसका मूल उद्देश्य नहीं है, मूल प्रयोजन नहीं है । उसकी संरचना केवल अध्यात्म जागरण के लिए हुई है, कामनाओं की समाप्ति के लिए हुई है । यह एक तथ्य है कि जहां बड़ी उपलब्धि होती है, वहां आनुषंगिक रूप में अनेक छोटी उपलब्धियां भी अपने आप हो जाती हैं। छोटी उपलब्धि में बड़ी उपलब्धि नहीं होती, किन्तु बड़ी उपलब्धि में छोटी उपलब्धि सहज हो जाती है । कोई व्यक्ति सरस्वती के मंत्र की आराधना करता है तो उसके ज्ञान बढ़ेगा। कोई व्यक्ति लक्ष्मी के मंत्र की आराधना करता है तो उसके धन बढ़ेगा । किन्तु अध्यात्म का जागरण या आत्मा का उन्नयन नहीं होगा, क्योंकि छोटी उपलब्धि के साथ बड़ी उपलब्धि नहीं मिलती । जो व्यक्ति बड़ी उपलब्धि के लिए चलता है, रास्ते में उसे छोटी-छोटी अनेक उपलब्धियां प्राप्त हो जाती हैं । राजा के चार रानियां थीं । राजा विदेश गया हुआ था । जब उसके लौटने का समय हुआ तब रानियों ने विदेश से कुछ वस्तुएं मंगाईं । एक रानी ने हार, दूसरी ने कंगन, तीसरी ने नूपुर मंगाया । पत्र लिख दिए । चौथी ने अपने पत्र में लिखा- 'मुझे आपके सिवाय कुछ नहीं चाहिए । ' राजा आया। तीनों रानियों को अपनी-अपनी वस्तुएं दीं और चौथी रानी को सब कुछ दे दिया । उसने कहा —— किसी को हार की, किसी को कंगन की और किसी को नूपुर की जरूरत थी । मैंने उनकी जरूरत पूरी कर दी । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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