Book Title: Eso Panch Namukkaoro
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 156
________________ १३६ : एसो पंच णमोक्कारो साक्षात् देखने का अभ्यास करें। इसी प्रकार 'मो', 'सि', 'द्धा, ‘णं'--एक-एक वर्ण लिखें और उसे साक्षात् करने का अभ्यास करें। दूसरा चरण पद-ध्यान । ‘णमो सिद्धाणं'-इस पूरे पद का ध्यान करें। आकाश में श्वास के द्वारा लिखे गए इस पद को साक्षात देखने का अभ्यास करें। तीसरा चरण पद के अर्थ का ध्यान | ‘णमो सिद्धाणं'—इस पंचाक्षरी मंत्र का अर्थ है—सिद्ध को नमस्कार । सिद्ध आत्मा का ध्यान दर्शन-केन्द्र में बाल-सूर्य के रूप में करें; बाल-सूर्य के साक्षात्कार का अभ्यास करें। सिद्ध आत्मा का ध्यान शरद् पूर्णिमा के चन्द्रमा के रूप में करें। चन्द्रमा के साक्षात्कार का अभ्यास करें। चौथा चरण अपने सिद्धस्वरूप का ध्यान करें। शरीर के कण-कण में बाल-सूर्य जैसी प्रकाश-ज्योति का अनुभव करें फिर चन्द्रमा जैसी निर्मल ज्योति का अनुभव करें। णमो आयरियाणं विशुद्धि केन्द्र में मन का केन्द्रीकरण और दीपशिखा जैसा पीत वर्ण । पहला चरण अक्षर-ध्यान । आकाश में श्वास द्वारा पीत वर्णमाला ‘ण' लिखें और उसे साक्षात् देखने का अभ्यास करें। इसी प्रकार 'मो', 'आ', 'य', 'रि', 'या', ‘णं',—एक-एक वर्ण लिखें और उसे साक्षात् करने का अभ्यास करें। दूसरा चरण पद-ध्यान । ‘णमो आरयरियाणं'—इस पूरे पद का ध्यान करें। आकाश में श्वास द्वारा लिखे गए इस पूरे पद को साक्षात् देखने का अभ्यास करें। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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