Book Title: Eso Panch Namukkaoro
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

Previous | Next

Page 157
________________ परिशिष्ट : १३७ तीसरा चरण पद के अर्थ का ध्यान । ‘णमो आयरियाणं'—इस सप्ताक्षरी मंत्र का अर्थ ___ आचार्य को नमस्कार । आचार्य का ध्यान स्वयंप्रकाशी और दूसरों को प्रकाशित करनेवाली पीली दीपशिखा के रूप में करें, दीपशिखा के साक्षात्कार का अभ्यास करें। चौथा चरण अपने आचार्यस्वरूप का ध्यान करें। शरीर के कण-कण में स्वयं प्रकाशी और दूसरों को प्रकाशित करने वाली पीली दीपशिखा का अनुभव करें। ___ णमो उवज्झायाणं आनन्द-केन्द्र में मन का केन्द्रीकरण और निरभ्र आकाश जैसा नील वर्ण। पहला चरण अक्षर-ध्यान। आकाश में ध्यान द्वारा नील वर्ण वाला 'ण' लिखें और उसे साक्षात् करने का अभ्यास करें। इसी प्रकार ‘मो', 'उ', 'व', 'ज्झा', 'या' ‘णं'-एक-एक वर्ण लिखें और उसे साक्षात् करने का अभ्यास करें। दूसरा चरण पद-ध्यान । ‘णमो उवज्झायाणं'—इस पूरे पद का ध्यान करें। आकाश में श्वास द्वारा लिखे गए इस पूरे पद को साक्षात् देखने का अभ्यास करें। तीसरा चरण पद के अर्थ का ध्यान । ‘णमो उवज्झायाणं'-इस सप्ताक्षरी मंत्र का अर्थ है-उपाध्याय को नमस्कार । उपाध्याय का ध्यान नीले आकाश के रूप में करें। नीले आकाश के साक्षात्कार का अभ्यास करें। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178