Book Title: Eso Panch Namukkaoro
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 162
________________ १४२ : एसो पंच णमोक्कारो ५. णमो लोए सव्वसाहूणं स्पर्श का प्रतीक। भाव-स्पर्श का अनुभव करने से द्रव्य-स्पर्श की लालसा टूट जाती ७. शरीर में मुख्य स्थान है—हृदय । इससे चौदर रज्जु वाले लोक से संबंध स्थापित किया जा सकता है। हृदय-कमल आठ पंखुड़ियों वाला है, वे पंखुड़ियां औंधी हैं। इसीलिए बुद्धि की गति नीचे की ओर है। नवकार मंत्र के पदों को हृदय-कमल पर स्थापित कर, जाप करने से वे ऊर्ध्वमुखी हो जाती हैं। ० जाप में रंग का भी महत्त्व होता है। श्वेत रंग आत्मा को उज्ज्वल बनाता है, मोक्ष-पद को प्राप्त कराता है। ८. पहला पद- समवसरण में सर्वज्ञ की वाणी। दूसरा पद . सिद्धशिला के आनन्दमय एकान्त में। तीसरा पद पंचाचार की सुगन्ध से सुरभित नन्दन वन में। चौथा पद ब्रह्माण्ड के विज्ञान के सूक्ष्य सिद्धान्तों के समुद्र में। पांचवां पद पांच महाव्रतों के आन्तरिक सामर्थ्य के महामेरु पर। अक्षरमय ध्यान पद अक्षर संख्या वर्ण णमो अरहंताणं श्वेत णमो सिद्धाणं रक्त णमो आयरियाणं पीत णमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्वसाहूणं श्याम एसो पंच णमोकारो सव्व पावप्पणासणो श्वेत मंगलाणं च सव्वेसिं पढमं हवइ मंगलं (श्वेत गाय के दूध जैसा। रक्त प्रवाल जैसा स्वर्ण जैसा 9 9 नील 9 w श्वेत s is s us पीत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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