Book Title: Eso Panch Namukkaoro
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 160
________________ १४० : एसो पंच णमोक्कारो एसो पंच णमोक्कारो सव्व पावप्पणासणो दक्षिण दिशा से प्रारम्भ कर चारों मंगलाणं च सव्वेसि पद चारों विदिशाओं में। पढमं हवइ मंगलं। इसका पदमावर्त जाप अर्थात् पद्य के आवर्तन की तरह जाप करें। फल-कर्मक्षय, मन-स्थैर्य । ३. वीतराग पुरुष की पुरुषाकृति पर नौ पदों का ध्यान१. बायें पैर के अंगूठे पर णमो अरहंताणं २. दायें पैर के अंगूठे पर णमो सिद्धाणं ३. बायें घुटने पर णमो आयरियाण ४. दायें घुटने पर णमो उवज्झायाणं ५. बायें हाथ पर णमो लोए सव्वसाहूणं ६. दायें हाथ पर एसो पंच णमोकारो ७. बायें कंधे पर सव्व पावप्पणासणो ८. दायें कंधे पर मंगलाणं च सव्वेसि ६. शिखा पर पढम हवइ मंगलं १०. ललाट पर णमो अरहंताणं ११. कण्ठ पर णमो सिद्धाणं १२. वक्षस्थल पर णमो आयरियाणं १३. नाभि पर णमो उवज्झायाणं १४. अंजलि में णमो लोए सव्वसाहूणं १५. बायें पैर के अंगूठे पर एसो पंच णमोकारो १६. दायें पैर के अंगठे पर सव्व पावप्पणासणो १७. बायें घुटने पर मंगलाणं च सव्वेसिं १८. दायें घुटने पर पढमं हवइ मंगलं १६. बायें हाथ पर णमो अरहताण २०. दायें हाथ पर णमो सिद्धांणं २१. बायें कंधे पर णमो आयरियाणं २२. दायें कंधे पर णमो उवज्झायाणं २३. शिखा पर णमो लोए सव्वसाहूणं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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