Book Title: Eso Panch Namukkaoro
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 155
________________ परिशिष्ट : १३५ पहला चरण अक्षर-ध्यान । आकाश में श्वास द्वारा श्वेत वर्ण वाला 'ण' लिखें और उसे साक्षात् देखने का अभ्यास करें। इसी प्रकार 'मो', 'अ', 'र', 'हं', 'ता', 'णं',-एक-एक वर्ण को लिखें और उसे साक्षात् करने का अभ्यास करें। दूसरा चरण पद-ध्यान । णमो अरहंताणं'--इस पूरे पद का ध्यान करें। आकाश में श्वास द्वारा लिखे हुए इस पूरे पद को साक्षात् देखने का अभ्यास करें। तीसरा चरण पद के अर्थ का ध्यान। णमो अरहंताणं'- इस सप्ताक्षरी मंत्र का अर्थ है-अर्हत् को नमस्कार | अनन्त ज्ञान, अनन्त दर्शन, अनन्त आनन्द और अनन्त शक्ति से सम्पन्न आत्मा का नाम 'अर्हत्' है। ज्ञानकेन्द्र में स्फटिक जैसी निर्मल और श्वेत पुरुषाकृति के रूप में अर्हत् का ध्यान करें। पहले उस आकृति की कल्पना करें, फिर उसके साक्षात्कार का अभ्यास करें। चौथा चरण अपने अर्हत्स्वरूप का ध्यान । अपने शरीर के कण-कण में अर्हत् (स्फटिक जैसी निर्मल और श्वेत पुरुषाकृति) के साक्षात्कार का अभ्यास करें और अनन्त चतुष्टयी के विकास का अनुभव करें। णमो सिद्धाणं दर्शन केन्द्र में मन का केन्द्रीकरण और बाल-सूर्य जैसा अरुण वर्ण । पहला चरण अक्षर-ध्यान । आकाश में श्वास द्वारा लाल वर्ण वाला 'ण' लिखें और उसे १. अक्षर चमकते रंग वालें हों तथा वे कम से कम दो-तीन फुट तक हों। उनमें प्रकाश की किरणें फूट रही हों, वे ज्योतिर्मय हों। प्रत्येक अक्षर पर कम से कम एक मिनट तक ध्यान करें। तीन या छह मास में अक्षर का साक्षात्कार हो जाता है। किसी-किसी साधक को पहले भी हो जाता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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